प्रगति यात्रा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री ने किए कई योजनाओं की घोषणा

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मनोज कुमार ।

कण्डी नवादा एवं सिंलौंजा में पार्क का निर्माण ।

गया, 05 मार्च 2025, माननीय मुख्य मंत्री, बिहार द्वारा 13 फरवरी 2025 को प्रगति यात्रा के दौरान गया ज़िले को कई बड़े सौगात दिए हैं। गया वन प्रमंडल, गया को कण्डी नवादा में पार्क का निर्माण की घोषणा की गई। कण्डी नवादा फलगु नदी के तट पर अवस्थित है जो गया शहर से 5 कि0मी0 की दूरी गया-पटना रोड (कंडी बाईपास) के किनारे है। इस वन क्षेत्र का क्षेत्रफल करीव 60 हे0 है। फल्गु नदी धार्मिक एवं पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। पार्क के निर्माण से उक्त वन क्षेत्र में पारिस्थितिकीय तंत्र स्थापित करना आसान हो जाएगा। उक्त क्षेत्र के शहर से निकट होने के कारण उस पर मानव जनित दबाव बहुत है। पर्यावरण स्थिरता को बनाए रखने और समाज को शैक्षिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक लाभ प्रदान करने में सहायक होते हैं। वर्तमान समय में, बढती शहरीकरण, औद्योगीकरण और वनों की कटाई के कारण प्राकृतिक पारिस्थतिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। गया शहर के नजदीक होने के कारण धार्मिक एवं पर्यटकीय दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थल के अनुरूप यहां पर पर्यटकों के लिए सुविधायें नहीं है। कण्डी नवादा पार्क के लिए कुल राशि 197977774/- रू० व्यय होने की सम्भावना है, जिसे तीन वर्षों में पूर्ण किया जाएगा। पार्क निर्माण में विभिन्न अवयवों का विकास किया जाना प्रस्तावित है। जिनमें मुख्य रूप से चाहरदिवारी का निर्माण, प्रवेश द्वार का निर्माण, मोरम पथ का निर्माण, टिकट घर का निर्माण, प्रशासनिक भवन का निर्माण, प्रशाधन कक्ष का निर्माण, पीने के पानी का व्यवस्था, बैठने हेतु बेंच का निर्माण, पटवन हेतु बोरिंग की व्यवस्था, मिट्टी भराई, लैंडस्केपिंग, प्रकाश की व्यवस्था आदि कार्य किये जायेगे।

सिलौंजा पार्क – सिलौंजा पार्क बोधगया शहर से 4 कि०मी० की दूरी पर है। इस वन क्षेत्र का क्षेत्रफल करीब 17 हे0 है। बोधगया शहर धार्मिक एवं पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। पार्क के निर्माण से उक्त वन क्षेत्र में पारिस्थितिकीय तंत्र स्थापित करना आसान हो जाएगा। उक्त क्षेत्र के शहर से निकट होने के कारण उस पर मानव जनित दबाव बहुत है। पर्यावरण स्थिरता को बनाए रखने और समाज को शैक्षिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक लाभ प्रदान करने में सहायक होते हैं। वर्तमान समय में, बढती शहरीकरण, औद्योगीकरण और वनों की कटाई के कारण प्राकृतिक पारिस्थतिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। बोधगया शहर के नजदीक होने के कारण धार्मिक एवं पर्यटकीय दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थल के अनुरूप यहां पर पर्यटकों के लिए सुविधायें नहीं है। सिलौंजा पार्क के लिए कुल राशि 218162770/- रू० व्यय होने की सम्भावना है, जिसे दो वर्षों में पूर्ण किया जाएगा। पार्क निर्माण में विभिन्न अवयवों का विकास किया जाना प्रस्तावित है। जिनमें मुख्य रूप से चाहरदिवारी का निर्माण, प्रवेश द्वार का निर्माण, मोरम पथ का निर्माण, टिकट घर का निर्माण, प्रशासनिक भवन का निर्माण, प्रशाधन कक्ष का निर्माण, पीने के पानी का व्यवस्था, बैठने हेतु बेंच का निर्माण, पटवन हेतु बोरिंग की व्यवस्था, मिट्टी भराई, लैंडस्केपिंग प्रकाश की व्यवस्था, सी०सी०टी०वी० की व्यवस्था, चिल्ड्रेन पार्क का निर्माण, पौधारोपण आदि कार्य किये जायेंगें।

पार्क निर्माण से होने वाले लाभ-
जैव विविधता पार्क पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं। ये प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं. पार्क में लगाए गए पेड़ और पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वायु की गुणवत्ता सुधारते हैं और तापमान को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। पार्क प्राकृतिक वायु फिल्टर की तरह कार्य करते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। ये ध्वनि प्रदूषण को कम करने में भी सहायक होते हैं और पानी को स्वच्छ बनाए रखने में मदद करते हैं।
पार्क में जल संचयन की विशेष व्यवस्थाएँ होती हैं, जिससे वर्षा जल संचित होकर भूजल स्तर को बनाए रखने में सहायता करता है। भूमि कटाव को रोकने में सहायक होते हैं। वृक्षों और पौधों की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, जिससे भू-क्षरण नहीं होता। जैव विविधता पार्क कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण में सहायक होते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा कम होती है। यह जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
प्रस्तावित परियोजना का उद्येश्य पारिस्थितिकी पर्यटन (इको टूरिज्म) और पर्यटन सुविधाओं का विकास करना है। यह पहल न केवल क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में सहायक होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन को बढावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।