जनपक्षीय पत्रकारों पर मोदी सरकार के हमले के खिलाफ प्रोटेस्ट मार्च
मनोज कुमार ।
निष्पक्ष और साहसी मीडिया मजबूत लोकतंत्र की पहचान– भाकपा माले
गया– दिल्ली में कई पत्रकारों के घरों पर छापेमारी और उन्हें हिरासत में लिए जाने की निंदनीय घटना के खिलाफ आज गया में भाकपा माले ने जिला परिषद भवन से जीबी रोड होते हुए टावर चौक तक प्रतिवाद मार्च निकाला।मार्च का नेतृत्व भाकपा माले जिला सचिव निरंजन कुमार, ऐपवा जिला सचिव रीता वर्णवाल, जिला कमेटी सदस्य तारिक अनवर, सुदामा राम, मो. शेरजहां व रामचंद्र प्रसाद कर रहे थे।माले कार्यकर्ता प्रेस की आजादी पर हमला नहीं सहेंगे, प्रेस/मीडिया की आजादी पुनर्बहाल करो, प्रेस की आजादी इंडेक्स में भारत का स्थान 161 वां क्यों – मोदी सरकार शर्म करो? अमित चक्रवर्ती और प्रवीर पुरकायस्था को रिहा करो, अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला नहीं सहेंगे, पत्रकारों पर से यूएपीए सहित सभी फर्जी मुकदमे वापस लो व फासीवादी हमले के खिलाफ व्यापक एकता कायम करो के नारे लगा रहे थे।
जिला सचिव निरंजन कुमार ने इस मौके पर कहा कि मोदी सरकार द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर लगातार हमला जारी है। जिन पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस द्वारा छापा मारा गया है, वे दशकों से निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं और हमेशा से ही सत्ता को आईना दिखाने का काम करते रहे हैं।ऐसे पत्रकारों पर छापेमारी करके केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस न केवल इन पत्रकारों को जनसरोकारों के पक्ष में खड़े रहने के लिए धमकाने की कोशिश कर रही है बल्कि वह, इनसे इतर भी जो पत्रकार जनसरोकारों से जुड़े हैं, उन्हें भी भयाक्रांत करने की कोशिश कर रही है। इससे साफ है कि केंद्र की मोदी सरकार देश में केवल अपना गुणगान करने वाला चारण मीडिया चाहता है, जिसे लोकप्रिय तौर पर गोदी मीडिया कहा जा रहा है।वहीं पार्टी नगर प्रभारी तारिक अनवर ने कहा कि केंद्र सरकार की इस कार्यवाही के बाद दुनिया भर में प्रेस स्वतंत्रता के मामले में देश की साख और रसातल को जाएगी। हम तत्काल मीडिया की स्वतंत्रता पर हमले की इस कार्यवाही को रोके जाने की मांग करते हैं।मोदी सरकार को मीडिया का शिकार करने के बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और इस मुल्क में बीते साढ़े नौ साल से बरपाई गयी तबाही के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।कार्यक्रम में राम लखन प्रसाद, शंभू राम, सिद्धनाथ सिंह, बरती चौधरी, मोलू कांत, सोना देवी, बबिता देवी, रीता देवी समेत बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं।