पूर्व राज्यपल के हाथों ज्ञान की भूमि गया में “मन्दिर से अस्पताल : मूल्यांकन के विविध आयाम” ग्रन्थ का हुआ लोकार्पण

विश्वनाथ आनंद l

गया (बिहार)- गया स्थित सीजुआर भवन में डॉ. हरिराम
मीणा द्वारा संपादित एवं अधिकरण प्रकाशन द्वारा
प्रकाशित ग्रंथ “मन्दिर से अस्पताल: मूल्यांकन के विविध आयाम” का लोकार्पण केरल एवं नागालैंड के पूर्व राज्यपाल के हाथों संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर कुसुम
कुमारी, बिहार के पूर्व पुलिस महा-निर्देशक राज्यवर्धन शर्मा, बिहार राज्य के पूर्व प्रशासनिक सचिव राय मदन शर्मा, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय
के भारतीय भाषा विभाग के अधिष्ठाता प्रोफेसर सुरेश
चन्द्र एवं अंग्रेजी विभाग से सहायक अध्यापक सुरेश
कुरापाटी ने उपस्थित होकर लोकार्पण कार्यक्रम को
सफल बनाया . डॉ.हरिराम मीणा द्वारा रचित यह आलोचनात्मक ग्रन्थ प्रोफ़ेसर सुरेश चंद्र द्वारा रचित मूल नाटक “मन्दिर से अस्पताल “के ऊपर लिखा गया है.इस कार्यक्रम में गया हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, जनकवि सुरेंद्र सिंह ‘ सुरेंद्र’ ने कहा कि वर्तमान कि इस संक्रमण काल में मंदिर से ज्यादा कहीं
अस्पताल की है ,और उसपर लेखन करना इतना
आसान नहीं होती, फिर भी नाटककार ने वो जिम्मेदारी
को बखूबी निभाया .इस कार्य के लिए उन्होंने लेखक को धन्यवाद भी दिया.इस लोकार्पण उत्सव में अपनी महत्वपूर्ण बात रखते हुए
गया शास्त्रीय संगीत घराने की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक राजेंद्र सिंह सिजुआर ने कहा की यह ग्रन्थ वर्तमान समय की प्रासंगिकता को बयां करने वालीं श्रेष्ठ ग्रंथ है.परंतु यह दुर्भाग्य है कि पाठकों की संख्या प्रतिदिन घट रही है.मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आदराणीय प्रोफ़ेसर कुसुम कुमारी जी ने अपनी वक्तव्य में कहा कि यह नाटक वर्तमान समय की यथार्थता को दर्शाता है.नाटक में वर्णित वंचित, दलित समाज की जिरजीविषा को दिखाता है. सिविल लाइन में एक मजदूर की मौत वर्त्तमान काल की प्रासंगिकता को बयां करती है.इस नाटक के नाटककार मोनोवैज्ञानिक तरीके से समाज को एक संदेश देने में सफल हो पाए हैं.बिहार सरकार के पूर्व प्रशासनिक सचिव राय मोहन
किशोर ने यह कहा कि यह नाटक वर्तमान समाज के शिक्षा, स्वास्थ जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दा को इस नाटक के माध्यम से लोगों के सामने लाए हैं. इस नाटक में लेखक वचित दलित, आदिवासी समाज के पीड़ा को दिखाया है.
केरल एवं नागालैंड के पूर्व राज्यपल महामहिम निखिल कुमार नाटक के बारे में अपनी महत्त्वपूर्ण बात रखते हुए कहा कि यह नाटक प्रोफ़ेसर सुरेश चंद्र द्वारा की गई संकल्पना सराहनीय है, यह वर्तमान समाज की वास्तविकता को वर्णन करता है. अस्पताल में जो डाक्टर रूपी भगवान है, समाज के लिए वही सबकुछ है.ईश्वर से पहले अस्पताल में ईश्वर रूपी भगवान ही बचाता है.मणिपुर की घटना आप वीडीओ मैं भी दिख नहीं सकते हैं.अपनी अध्यक्षीय अभिभाषण रखते हुए पूर्व पुलिस
महानिर्देशक राज्यवर्धन शर्मा ने कहा कि लेखक द्वारा भोगा गया यह यथार्थ परोक नाटक है. जिसमें सामाजिक समरसता को स्थापित करने के लिए हर एक पात्र अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाया है. नाटक के नायिका करुणा बौद्ध द्वारा समाज उत्थान की कार्य न केवल सराहनीय है बल्कि प्रेरणादायक भी हैं.
इस कार्यक्रम के संचालन हिंदी विभाग के शोधार्थी नचिकेता वत्स ने किया.कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को धन्यवाद समाजसेवी हिमांशु शेखर जी ने किया.इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थियों में सोनाली राजपूत, दिक्ष्या,रुद्र माझी,विशाल,राजीव निलय उपस्थित रहा कर कार्यकर्म को सफल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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