हिंदी बहुसंख्यक जनो की श्रेष्ठ समृद्ध भाषा है-डॉ ज्ञानेश.

विश्वनाथ आनंद
गया( बिहार )- स्थानीय शहर के डॉक्टर विवेकानंद पथ में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक बैठक आहूत किया गया. जिसमें उपस्थित व्यक्तियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया .उनमें प्रमुख रूप से ज्योति शिक्षा एवं शोध संस्थान के निदेशक डॉक्टर ज्ञानेश भारद्वाज ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि
काश बहुसंख्यक जनों की समृद्ध श्रेष्ठ भाषा हिंदी को हमारे देश में समुचित स्थान मिला होता,जिसका यह निर्विवाद अधिकारी है ,तो भारत की तस्वीर और तकदीर कुछ और होता. वही कौटिल्य मंच के जिला सचिव एवं प्रमुख समाजसेवी डिंपल कुमारी ने कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत की भाषा है. अब तक इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है.अपर्णा मिश्रा ने कहा कि हम सबों की सामूहिक दायित्व है, हिंदी के लिए उन्हें विकास के लिए हमें संकल्प लेकर आगे बढ़ाने कीआवश्यकता है.कुमारी अंबिका ने कहा कि हिंदी भाषा क्षेत्र में सरकारी कार्यालयों में स्कूल आदि में हिंदी प्रयोग करने के लिए दबाव बनाने की आवश्यकता है.विश्वजीत चक्रवर्ती ने कहा तथा कथित नव बुद्धिजीवियों द्वारा निरंतर इसकी उपेक्षा की गई है, जो उचित नहीं है. मोहम्मद सद्दाम ,रमेश कुमार सिंह ,तारा चक्रवर्ती, अजय कुमार मिश्रा ,सुनील कुमार, अभय कुमार सिंह ,प्रियांशु मिश्रा, संगीता कुमारी, दीपक पाठक, अधिवक्ता विक्रम कुमार मिश्रा, विनोद कुमार सिंहा ,आचार्य अखिलेश मिश्रा ,कृष्ण कुमार दास, प्रोफेसर अनिल कुमार आदि लोगों का नाम उल्लेखनीय हैं.

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