रामानंद सागर जी को विशेष रूप से ‘रामायण’ के निर्माण के लिए जाना जाता है-डॉ मनीष पंकज मिश्रा

राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मनीष पंकज मिश्रा जी के द्वारा भारतीय सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया के एक महान निर्देशक, लेखक और निर्माता रामानंद सागर जी का पुण्यतिथि पर नमन करते हुए कहा, भारतीय संस्कृति और धर्म को अपनी कृतियों के माध्यम से जीवंत किया। उनका जन्म 29 दिसंबर 1917 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में एक संपन्न परिवार में हुआ। उनका मूल नाम चंद्रमौली चोपड़ा था, लेकिन बाद में वे रामानंद सागर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
रामानंद सागर जी को विशेष रूप से ‘रामायण’ के निर्माण के लिए जाना जाता है, जो भारतीय टेलीविजन का एक ऐतिहासिक शो बन गया। 1987 में प्रसारित इस धारावाहिक ने भारतीय जनमानस में एक नई आध्यात्मिक चेतना उत्पन्न की। यह शो न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अत्यधिक लोकप्रिय हुआ और इसे रामायण की कहानियों को घर-घर तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। उनके निर्देशन में भारतीय मूल्यों, परंपराओं और धार्मिक महाकाव्यों को बहुत सरल और सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया।रामानंद सागर जी ने अपने करियर की शुरुआत एक लेखक के रूप में की थी और उन्हें 1942 में साहित्य के लिए गोल्ड मेडल भी मिला। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों की पटकथा भी लिखी, जैसे आंखें, अरमान, चरस आदि। उनके कार्यों में मानवीय भावनाओं और समाज की सच्चाई को गहराई से दर्शाया गया है।राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनका योगदान और उनकी कला ने मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने का कार्य
किया। 2005 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी कृतियां आज भी जीवित हैं आज उनके पुण्यतिथि पर नमन करते हैं