भाई-बहन के प्यार एवं समर्पण का पर्व रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया गया,मेले का भी हुआ आयोजन
दिवाकर तिवारी ।
रोहतास। रक्षा बंधन अर्थात रक्षा करने वाला बंधन या धागा। इस पर्व में बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख की कामना ईश्वर से करती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन को उसकी जीवनभर रक्षा का वचन देता है। यह त्योहार भाई बहन को ताउम्र भावनात्मक रूप से जोड़े रखता है। रक्षा बंधन को राखी या सावन के महिने में पड़ने की वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है। जिसे हिंदू एवं जैन धर्म के लोग बड़े हीं उत्साह एवं उमंग के साथ मनाते हैं। रक्षाबंधन हमारे भारत देश के अलावे पड़ोसी हिन्दू राष्ट्र नेपाल में भी प्रमुखता से मनाया जाता है तथा जगह जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं इतिहास की बात करें तो रक्षाबंधन को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं प्रचलित हैं। पौराणिक ग्रंथों में इससे संबंधित कई कहानियां बताई गई हैं। किसी कहानी में द्रौपदी और कृष्ण का जिक्र हैं तो किसी में राजा बलि और माता लक्ष्मी के बारे में बताया गया है। तो कहीं यह भी बताया गया है कि इसकी शुरुआत सतयुग में हुई थी। लेकिन सभी कहानियों में सिर्फ भाई-बहन के बीच प्यार, समर्पण एवं त्याग हीं परिलक्षित होता है। रक्षाबंधन का त्योहार पूरे जिले में गुरुवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। छोटे छोटे बच्चों, वयस्कों एवं बुजुर्गों ने भी अपनी-अपनी बहनों से कलाई पर राखीयां बंधवाई। भाई और बहन के लिए ये सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। ये त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते, प्यार, त्याग और समर्पण को दर्शाता है। हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। पूरे दिन शहर के लोगों का अपने रिश्तेदारों के घर आना जाना लगा रहा तथा सड़क से गुजर रहे लगभग सभी लोगों के माथे पर लगे तिलक एवं कलाइयों पर रंग-बिरंगे रक्षा सूत्र अपनी शोभा बढ़ा रहे थे। इस अवसर पर जिले के विभिन्न जगहों कार्यक्रम एवं मेले भी आयोजित किए गए। जिससे सड़कों एवं बाजारों में रौनक देखने को मिली तथा लोगों ने प्यार एवं समर्पण के इस त्यौहार को बड़े ही सादगी से मनाया। इसके अलावा पर्व को देखते हुए जिला प्रशासन भी पूरे जिले में काफी मुस्तैद रही।जगह-जगह पर्याप्त संख्या में पुलिस बल के साथ दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। जिससे शांति एवं भय मुक्त वातावरण में पर्व को संपन्न कराने में मदद मिली।