आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में टेकारी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता- हिमांशु शेखर

विश्वनाथ आनंद ।
टिकारी (गया )- आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में टिकारी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। 1857 में आजादी की पहली लड़ाई की आग टिकारी में भी फैल चुकी थी। टिकारी राज ने उस आंदोलन में अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता सेनानियों को हथियार और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया था। आंदोलन की सही रणनीति एवं नेतृत्वकर्ता के अभाव में अंग्रेजों ने उस आंदोलन को कुचल दिया था। गया जिले में कई स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया गया,उनमें कुछ टिकारी क्षेत्र से भी आते  थे। स्वतंत्रता सेनानियों से जब्त किया हथियार, टेकारी राज के हथियारों से मेल खाते थे। उसी को आधार बनाकर अंग्रेजों ने टिकारी राज के हथियार और किले में रखी गई 200 तोपों को जब्त कर लिया था। आजादी की लड़ाई धीरे-धीरे गांव में भी फैल चुकी थी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का नेतृत्व प्रदान कर रहे थे ।गांधीजी के आह्वान पर देश में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भड़क उठी थी। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन की सफलता ने महात्मा गांधी की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया था। गांव -गांव में आजादी की लड़ाई में युवाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही थी।  टिकारी प्रखंड में भी आजादी की लड़ाई तेज हो चुकी थी। वर्ष 1939 में चितौखर के विष्णुदेव नारायण सिंह एवं उनके कई साथियों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर टिकारी थाना लाया ।  विष्णुदेव नारायण सिंह ने निर्भीकता के साथ अंग्रेजों के सम्मुख ब्रिटिश ध्वज को आग के हवाले कर दिया। विष्णुदेव नारायण सिंह को उनके साथियों के साथ हजारीबाग जेल भेज दिया गया।केसपा ग्राम के स्वतंत्रता सेनानी दलु सिंह एवं लाव में महावीर सिंह की अध्यक्षता में स्वतंत्रता सेनानियों की गुप्त बैठक आयोजित किया जाता था, एवं आगे की रणनीति तय किया जाता था। उन दिनों दलू सिंह  टिकारी क्षेत्र के एक जाने-माने घुड़सवार थे,इसलिए उन्होंने गांव -गांव  घूम कर युवाओं को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित करने लगे। उनकी प्रेरणा से अनेकों युवाओं ने  आजादी की लड़ाई में कूद पड़े,उनमें केसपा के बैधनाथ शर्मा एवं चैता के पशुराम सिंह ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान टिकारी में आजादी की लड़ाई तेज हो गई थी। जगह – जगह पर सड़के काट दिया गया,पूल तोड़ दिए गए एवं टिकारी थाना पर हमला कर कई स्वतंत्रता सेनानियों को छुड़ा लिया गया। टिकारी राजघराना भी पर्दे के पीछे से  स्वतंत्रता सेनानियों का साथ दे रहा था। अंग्रेजों ने गुप्त सूचना के आधार पर दलू सिंह को गिरफ्तार कर लिया एवं सड़क मार्ग से उन्हें टिकारी लाया जा रहा था। दलू सिंह के समर्थन में टिकारी में जनसैलाब उमड़ पड़ा, इसीलिए अंग्रेजों ने उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया. अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मिलित प्रयास से 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ।टिकारी के कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी -1.रामचंद्र मिश्र, 2. महावीर प्रसाद सिंह, 3. अवधेश चरण सिंह , 4. गुरु दहल दास, 5. कुलदीप सिंह, 6. बैधनाथ शर्मा, 7. मोहन प्रसाद सिंह, 8. नंद किशोर मिश्र, 9. कर्ण सिंह, 10. मुंद्रिका सिंह, 11. रामाश्रय सिंह, 12. राम चरण सिंह, 13. दलू सिंह, 14. फागू साव, 15. केदारनाथ सिंह, 16. जवाहर साव, 17. राम अवतार शर्मा, 18. पशुराम सिंह, 19. विष्णुदेव नारायण सिंह। टिकारी प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित शिलापट्ट पर सिर्फ चौदह स्वतंत्रता सेनानियों के नाम अंकित है। सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु शेखर ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के अमृत महोत्सव में भी हम अपने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान नहीं दे रहे है। हिमांशु शेखर ने टिकारी के शेष स्वतंत्रता सेनानियों का नाम भी शिलापट्ट पर अंकित करने का मांग किया है। स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी वहां के स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। सभी ग्राम पंचायत मुख्यालय में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए, जिससे युवा वर्ग प्रेरणा ले सके ।

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