मौसम की बेरुखी से बढ़ा सूखे का खतरा, नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएंगे किसान

दिवाकर तिवारी ।

रोहतास। एक तरफ जहां बरसात न होने की वजह से धान की खेती पिछड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ थोड़ा बहुत धान के फसल की रोपाई हुई है उसे बचाने की कवायद में किसानों के पसीने छूटते नजर आ रहे हैं। दरअसल रोहतास जिले को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां पर धान की बेहद अच्छी पैदावार होती है। अधिकांश किसान खेती-बाड़ी पर ही निर्भर हैं। ऐसे में बारिश ना होने की वजह से किसानों की चिंता लाजिमी है। जिले के कई क्षेत्रों मे बारिश न होने के चलते हर तरफ हाहाकार मचा है और अन्नदाता सूखे की आशंका से चिंतित हैं। जुलाई महीना अब अन्तिम चरणों में चल रहा है और अब तक जिन खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, उन खेतों में अभी तक धूल उड़ रही है। किसानों की आंखें आसमान की तरफ टकटकी लगाए देख रही हैं कि कब इंद्रदेव मेहरबान होंगे और बारिश होगी और वह लोग अपने खेतों में धान की रोपाई कर पाएंगे। हालांकि इस क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई हेतु नहर की व्यवस्था है लेकिन हर खेत तक पानी सहजता से नहीं पहुंच पाता। जिससे किसानों को बारिश पर भी निर्भर रहना पड़ता है। वहीं बिजली भी किसानों के साथ खूब मजाक कर रही है क्योंकि कृषि फीडरों से बिजली घंटों तक गायब रहती है। इस परिस्थिति में किसान पुरी तरह मानसूनी बारिश पर ही निर्भर रहते हैं। इलाके के तमाम किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर बरसात नहीं होगी तो धान की रोपाई कैसे होगी और धान की फसल जब पैदा नहीं होगी तो उनके घर का खर्च कैसे चलेगा? किसान सुदर्शन ओझा कहते हैं कि बारिश एकदम नहीं हो रही है जिसके पास नहर है वह थोड़ा-थोड़ा करके अपना रोपाई कर रहा है, बाकी किसान बिल्कुल परेशान हैं। बिल्कुल सूखा की स्थिति हो गई है।ब च्चों को पढ़ाना लिखाना है, कैसे पढ़ाएंगे लिखाएंगे। यही सब समस्या सामने पड़ी हुई है। जबकि किसान बताते हैं कि मानसून की स्थिति एकदम ठीक नहीं है। जो नहर के किनारे हैं वो रोपाई कर ले रहे हैं, लेकिन, बाकी किसान बारिश की आस लगाए हुए हैं जहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। अभी भी बारिश नहीं हुई तो भुखमरी पैदा हो जाएगी। बीवी-बच्चे सब परेशान हो जाएंगे। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई नहीं हो पाएगी,खेती ही लोगों का एक आधार है।
कुछ गांवों में धान के फसलों के हालात की पड़़ताल करने पर पता चला कि बारिश नहीं होने और सूरज की तेज तपिश से धान के छोटे-छोटे पौधे और धान के बिचड़े मुरझा चुके हैं। क्षेत्र में कई किसानों के खेत सुख चुके हैं और अभी भी बारिश नहीं हुई तो निश्चित ही फसल चौपट हो जाएगी। जो छोटे किसान हैं, उनके खाने के लाले तक पड़ जाएंगे।लगभग जुलाई महिना बीतने के कगार पर है,किसान सूखे की मार झेल रहे हैं।धान की फसल के लिए खेत तैयार होने के बावजूद अभी रोपाई नहीं हुई है।अगर धान रोपा भी गया है तो एक बार पानी भरने के बाद चटक धूप के चलते तीसरे दिन वह खेत भी सूख जा रहे हैं।
मंडरा रहे काले बादल किसानों के मन में आस तो जगा जा रहे है लेकिन, हवा के साथ बादलों को उड़ जाने के बाद इनका मन पूरी तरह से इस खेल को देख विचलित हो रहा है। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस बार सूखा पड़ने की आशंका है। इंद्रदेव ने इस बार किसानों को दंड देने का ही मन बना लिया है। खेत में किसान एक तरफ धान की फसल को देख रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी नजर आसमान पर जाकर टिक जा रही है। उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होना फसल की पैदावार पर निर्भर करता है। अब पैदावार तो दूर अभी तक धान की रोपाई तक नहीं हो पाई है। किसान वर्षा की आस लगाए बैठा है कि रोपनी शुरू की जाए। लेकिन अब तो यह भी संभव होता नहीं दिख रहा है। धान की हरियाली से लहलहाने वाले खेतों में अब धूल उड़़ता ही दिख रहा है।