कारगिल अमर शहीद रामपुकार शर्मा की 24 वीं शहादत दिवस संपन्न

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार ) – कारगिल युद्ध भारतीय सैनिकों की अदम्य साहस की वीरगाथा है। गया जिला के टिकारी प्रखंड अंतर्गत केसपा पंचायत के कुतलुपुर ग्राम के लांस नायक रामपुकार शर्मा कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों से लोहा लेते हुए 1 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे। आज शहीद के पैतृक ग्राम में कारगिल अमर शहीद लांस नायक राम पुकार शर्मा की 24 वीं शहादत दिवस वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम उनकी आदमकद प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराया गया एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया गया। पूजा पाठ के उपरांत शहीद के बड़े भाई धनंजय शर्मा एवं सच्चिदानंद शर्मा ने नम आंखों से अपने छोटे भाई को श्रद्धांजलि अर्पित किया ,उनके उपरांत सभी उपस्थित आगंतुक एवं ग्रामीणों ने अमर शहीद के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित किया। शहीद रामपुकार शर्मा इस क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु शेखर, पूर्व सरपंच सुनील चंद्रवंशी, पैक्स अध्यक्ष सुबोध शर्मा,धीरेश कुमार,राम एकबाल शर्मा, मनीष कुमार,उपेन्द्र शर्मा,अनिल शर्मा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
रामपुकार शर्मा के शहादत के उपरांत प्रशासनिक पदाधिकारियों एवं नेताओं द्वारा वादों की झड़ी लगाई गई थी, उन्ही वादों में एक वादा केसपा ग्राम से कुतलूपुर का सड़क निर्माण था, जो आज तक अधूरा है। सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु शेखर ने कहा है कि यह अधूरा वादा शहीद का अपमान है। सरकार को तत्काल केसपा -कुतलुपुर सड़क निर्माण को पूर्ण करना चाहिए।
कारगिल युद्ध के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद थे। लालू प्रसाद ने सभी कारगिल शहीदों के घर स्वयं जाकर सहायता राशि उपलब्ध कराई,लेकिन जातीय द्वेष की वजह से शहीद रामपुकार शर्मा के घर नहीं आए। शहीदों को जातीय राजनीति में बांटना शहादत का अपमान है। लालू प्रसाद को शहीद के परिवार से माफी मांग कर अपनी गलती सुधारना चाहिए।
कारगिल युद्ध के विजय के उपरांत राजद के तत्कालीनराज्यसभा सदस्य रंजन यादव द्वारा पटना में कारगिल चौक का निर्माण कराया गया ,एवं बिहार के सभी कारगिल शहीदों का नाम अंकित किया गया, लेकिन जातीय राजनीति द्वेष की वजह से आज तक कारगिल चौक पर रामपुकार शर्मा का नाम अंकित नहीं किया गया है। बिहार सरकार को कारगिल चौक में सम्मान के साथ राम पुकार शर्मा का नाम शामिल कर अपने भूल को सुधारना चाहिए।शहीद राम पुकार शर्मा की वीर गाथा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।

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