मोदी को अब विपक्ष की याद ll

संजय वर्मा,

देश की विपक्ष पार्टियों की पटना में 23 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में महज बैठक हुई विपक्षी एकता पर सिर्फ सहमति बनी कोई गठबंधन या मोर्चा नहीं बनी यह सब होना अभी बाकी है पर प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका से आये और पिछले 55 दिनों से आग में झुलस रहे मणिपुर न जाकर मध्यप्रदेश के भोपाल पहुंच गए और चुनावी मोड़ में आ गए भाषण शुरू कियाउन्हें पटना याद आया एक एक कर सभी विपक्षी पार्टियों और उससे जुड़े नेताओं का नाम लिया परिवारवादी भ्रष्टाचारी बताया उनको भरपेट कोसा उनका जो अंदाज़ था उसमें बौखलाहट घबराहट अलबलाहट बेचैनी परेसानी हताशा साफ झलक रही थी चिड़चिड़ाहट भी थी सवाल है एक मीटिंग भर से जब वो हिल से गए तो आगे क्या होगा सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है जब उनके विरुध्द देश की तमाम विपक्षी पार्टियों की एकजुटता की बैठक 12 जुलाई को शिमला में होगी चुनावी ब्लू प्रिंट बन जाएगी और एक मोर्चा बन जाएगी मोई एक ही रिकॉर्ड बजाकर परिवारवाद भ्रष्टाचार का हवाला देकर कब तक सत्तासुख भोगते रहना चाहते वो क्यों नही बताते की अच्छे दिन कब आएगी बेरोजगारी महंगाई कब हटेगी हर साल 2 करोड़ रोजगार का क्या हुआ डीज़ल पेट्रोल कब सस्ते होंगे काला धन कब आएगा 100 स्मार्ट सिटी बुलेट ट्रेन का क्या हुआ क्यों रुपया डॉलर से नीचे कमजोर होता चला जा रहा आर्थिक मोर्चे पर देश रसातल में लगातार जा रहा अडानी से क्या रिश्ते है जो उन्हें मालामाल किया जा रहा महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण करनेवाले उनके सांसद ब्रजभूषण को क्यों नही गिरफ्तार कराया मणिपुर क्यो60 दिनों से जल रहा इन सवालों का जवाब देश पूछ रहा मोदी जी इनका जवाब दीजिये परिवारवादी और भ्रष्टाचारी पार्टीयो की बात कह मत बरग्लाइये जय शाह अनुराग ठाकुर पंकज सिंह सरीखे भाजपाई नेताओं के ही बेटे हैं न ई कौन वाद है हेमन्त विश्वशर्मा येदुरप्पा शिवराजसिंह सरीखे नेताओं ने जो करोड़ो अरबो का भ्रष्टाचार किया वो क्या सदाचार है

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