नए संसद भवन के लोकार्पण का विरोध दुर्भाग्यपूर्ण- डॉ. मृदुला मिश्रा
विश्वनाथ आनंद ।
गया (मगध बिहार)- गुलामी की प्रतीक पुरानी संसद भवन से हटकर देश को गौरवान्वित करने वाले नई संसद भवन का भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोकार्पण समारोह के शुभ मुहूर्त पर अधिकांशत विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा विरोध करना दुर्भावनाओं से प्रेरित, दुर्भाग्यपूर्ण है . उक्त कथन कौटिल्य मंच व विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़ी जागरूक महिलाओं की है . महिला सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों ने कहा है कि इस ऐतिहासिक क्षणों में सभी तरह के भेदभाव को भुलाकर एकजुट होकर समारोह में सम्मिलित होकर राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर अपनी संकीर्ण गुलामी मानसिकता को त्याग कर एकजुटता का संदेश विश्व को देकर राष्ट्र को मजबूत आधार प्रदान करने की जरूरत है . उन्होंने आगे कहा कि विरोध के लिए हर बात पर विरोध करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित जान नहीं पड़ता. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का विरोध करने वाले तमाम लोगों से अपील है कि अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर इस ऐतिहासिक क्षणों में इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज कराएं. जिन प्रमुख महिलाओं ने सलाह एवं अपील की है, उनमें रुक्मिणी पाठक ,कविता राऊत, पूजा कुमारी ,पुष्पा गुप्ता, पियूषा गुप्ता ,अर्चना बनर्जी ,नीलम पासवान ,किरण पाठक, प्रोफेसर रीना सिंह, सीमा गोयल ,फूलकुमारी यादव, शोभा मांझी, नीतू सिंह ,रजनी सिंह, कुमारी सोनम, तस्लीम नाज़, रेशमा प्रेरणा ,मराठे वैष्णवी, मांडवी गुर्दा ,रंजना पांडे, तरन्नुम परवीन ,ममता देवी, श्यामा मिश्रा, डॉक्टर गीता विश्वकर्मा, शारदा साहिबा, सुमन यादव, वेवी देवी, पार्वती देवी, कांति देवी, मालती देवी ,अधिवक्ता पूनम कुमारी का नाम शामिल है .