गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत एवम् महान समाजसेवी थे
मनोज कुमार ।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत, समाजसेवी, विचारक,गोपाल कृष्ण गोखले जी की 157 वीं जयंती स्थानीय चौक स्थित इंदिरा गांधी प्रतिमा स्थल प्रांगण में मनाई गई।
जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह क्षेत्रीय प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिठू ने किया तथा संचालन कांग्रेस सेवादल के जिला संगठक टिंकू गिरी ने किया।
सर्वप्रथम गोपाल कृष्ण गोखले के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला गया।
जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा की गोपाल कृष्ण गोखले जिन्हे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपना गुरु मानते थे, जिन्हे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी नेता माना जाता था। इन्होंने चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णतः सहमत होकर 1905 में सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
गोपाल कृष्ण गोखले ने तीन दशकों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सन 1905 में कांग्रेस पार्टी के बनारस अधिवेशन में गोपाल कृष्ण गोखले को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया , इसी अधिवेशन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नीव रखी गई थी।
1907 में पार्टी में दो विचारधाराओं नरम और गरम दल में विभक्त होने के बाद भी उन्होंने गरमदल के लाला लाजपत राय के रिहाई के लिय वृहद अभियान चलाया था।
जयंती कार्यक्रम को विजय कुमार मिठू, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष राम प्रमोद सिंह, बाबूलाल प्रसाद सिंह, प्रद्युमन दुबे, दामोदर गोस्वामी, मौलाना आफताब खान, शिव कुमार चौरसिया, उदय शंकर पालित, टिंकू गिरी, मो समद, अहमद रजा खान, सुरेंद्र मांझी, विनोद उपाध्याय, श्रवण पासवान, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, विशाल कुमार, मो मुजम्मिल , अभिषेक श्रीवास्तव, सुनील कुमार राम, आदि ने संबोधित किया।