क्या कायदे कानून सिर्फ आम लोगों के लिए बनाए जाते हैं

रोहतास/दिवाकर तिवारी ।
सासाराम। शहर के पुरानी जीटी रोड स्थित जिला समाहरणालय के समक्ष मुख्य सड़क पर बनाए गए डिवाइडर को मंगलवार की रात तोड़ दिया गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि रोहतास जिले की जिलाधिकारी उदिता सिंह को जिला समाहरणालय से चंद कदम दूर पोस्ट ऑफिस चौराहे से यु टर्न लेना पसंद नहीं है। इसलिए विगत दो वर्ष पूर्व सड़क के बीचो-बीच बनाए गए डिवाइडर को लगभग 5 मीटर के दायरे में ध्वस्त कर दिया गया और एक कट बना दिया गया है ताकि जिलाधिकारी समेत समाहरणालय में आने जाने वाले सभी अधिकारियों के वाहन को जिला समाहरणालय से निकलने व प्रवेश करने में कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जिले के आला अधिकारी हीं जब इस तरह अपनी सहूलियत को देखते हुए यातायात नियमों को नजरअंदाज करेंगे तो फिर आम लोगों से यातायात नियमों के पालन की उम्मीद कैसे की जाएगी? इतना हीं नहीं जिले के अधिकारियों के वाहन अक्सर गलत दिशा में आते जाते, अवैध जगहों से यू टर्न लेते, नो पार्किंग जोन में खड़े एवं अन्य यातायात नियमों की अनदेखी करते देखे जाते हैं। जिससे आम लोगों में गलत संदेश जाता है और लोग भी यातायात नियमों के अनुपालन में गंभीरता से रुचि नहीं लेते हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत दो वर्ष पूर्व शहर में सड़क जाम की समस्या को देखते हुए एसपी जैन कॉलेज मोड़ से लेकर बेदा बस स्टैंड तक पुरानी जीटी रोड के बीचों बीच एक मजबूत डिवाइडर का निर्माण कराया गया था। मुख्य सड़क के सभी चौक चौराहों एवं आवश्यक जगहों पर कट बनाए गए थे तथा कई गैर जरूरी जगहों पर बने कट को बंद भी कर दिया गया था, लेकिन अब 2 वर्ष बाद जिलाधिकारी उदिता सिंह के निर्देश पर जिला समाहरणालय के समक्ष बनाए गए डिवाइडर को तोड़कर एक नया कट बना दिया गया। जिससे जिला समाहरणालय में आने जाने वाले पदाधिकारीयों के वाहन को सहूलियत हो सके। दरअसल जिला प्रशासन के इस मनमाने रवैए ने शहर के बुद्धिजीवियों के बीच एक नई चर्चा को भी जन्म दे दिया है। लोगों का कहना है कि कायदे कानून सिर्फ आम लोगों के लिए बनाए जाते हैं और उल्लंघन करने पर उनसे जुर्माना भी वसूला जाता है। जबकि अधिकारी कायदे-कानून को अपने सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं और उन्हें इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता। वहीं देखा जाए तो जिला समाहरणालय के समक्ष डिवाइडर को तोड़कर बनाए गए इस कट का सिर्फ पदाधिकारी हीं नहीं बल्कि आम लोग भी इस्तेमाल का प्रयास करेंगे, जिससे वहां सड़क दुर्घटना की संभावना ज्यादा होगी और इसकी जवाबदेही किसकी होगी यह पता नहीं?