शिक्षा में धर्म और अध्यात्म आवश्यक: प्रति कुलपति

संतोष कुमार ।

(मुंगेर, 21 अक्टूबर 2024)शिक्षा का उद्देश्य देश के लिए संस्कारक्षम एवं अच्छे नागरिकों का निर्माण करना है, और यह तभी संभव है जब शिक्षा धर्म एवं अध्यात्म आधारित हो। इसमें शिक्षकों की भूमिका अहम होती है। यह कार्य विद्या भारती के विद्यालयों में तो होती है परंतु अन्य विद्यालयों में इसका अभाव दिखता है। उक्त बातें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के प्रति कुलपति प्रो0 गणेश महतों ने अपने मुंगेर प्रवास के दौरान सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही।आगे उन्होंने कहा कि जिस प्रकार उचित पटरी के अभाव में ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, ठीक उसी प्रकार शिक्षा या कर्म चाहे छात्रों के द्वारा हो या शिक्षकों के द्वारा एक रेलगाड़ी के समान होता है जिसे चलने के लिए धर्म एवं अध्यात्म रूपी पटरी चाहिए। विद्या भारती ने इस चीज को समझा और अपने विद्यालयों में उन्होंने धर्म और कर्म दोनों पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि यहां के छात्र काफी संस्कारी और व्यवहारिक हैं। यहां छात्रों को पुस्तकीय ज्ञान के अलावे और भी कई अन्य विधाओं जैसे योग, कला, संगीत, खेलकूद, गायन, नृत्य आदि की भी शिक्षा दी जाती है जो छात्रों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण है।

छात्रों को अच्छा आचरण, अच्छी नीति और अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्रों को स्वाध्याय, समर्पण एवं ईमानदारी जैसे गुणों को अपनाने की आवश्यकता होती है।
विद्यालय में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि यहां के शिक्षक अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास के प्रति काफी उत्साही एवं समर्पित भाव से छात्रों को अध्ययन एवं उचित सामाजिक व्यवहार के प्रति उसमें रुचि जगाने का कार्य कर रहे हैं।
विद्यालय की वंदना सभा के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब शांतचित एवं एकाग्र होकर वंदना करते हैं तथा ओम का उच्चारण करते हैं तो ध्यान गंभीर मुद्रा में एकाग्रचित्त रहता है। और एकाग्रचित होकर कुछ भी बराबर सोचने की जिनकी आदत पड़ जाती है तो उनकी याददाश्त बहुत मजबूतऔर मस्तिष्क बहुत तेज हो जाता है जिससे पढ़ाई में काफी लाभ मिलता है। यहां छात्रों एवं शिक्षकों की भाषा काफी परिमार्जित और बिल्कुल प्रदूषण रहित है। वो जितनी अच्छी हिंदी का उपयोग करते हैं उतनी ही अच्छी अंग्रेजी का भी। आजकल जिस प्रकार से उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी अनैतिक कार्य एवं भौतिकवादी नीति अपना रहे हैं इससे तो लगता है कि उन्होंने बचपन से ही सिर्फ पुस्तकीय शिक्षा ली है अच्छे विचार, अच्छी नीति एवं अनुशासन का अभाव रहा है।
विद्यालय के उपप्रधानाचार्य उज्ज्वल किशोर सिन्हा द्वारा अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ तथा अर्चना पत्रिका भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया।

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