जैव विविधता प्रबंधन समितियों का एकदिवसीय कार्यशाला

मनोज कुमार ।
गया वन प्रमंडल गया अंतर्गत गया सदर अनुमंडल के जैव विविधता प्रबंधन समितियों के एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा होटल विष्णु विहार, गया में किया गया।
इस कार्यशाला में डॉ० प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। माननीय मंत्री महोदय द्वारा संबोधन के दौरान माननीय मंत्री महोदय के द्वारा जैव विविधता, कृषि, बागवानी, पशु एवं अन्य उत्पादन वयवस्था में जैविक विविधता, प्राकृतिक वन क्षेत्रों में जैव विविधता, जैव विविधता प्रबंधन समितियों की भूमिका, वानिकी, वन्यप्राणी, वृक्षारोपण एवं आद्रभूमि संरक्षण आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। माननीय मंत्री महोदय द्वारा बदलते मौसम के कारण आ रहे पर्यावरणीय बदलावों की वजह से मनुष्यों, वन्यजीवों एवं वनस्पतियों पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाओं पर चिंता व्यक्त की गई। उनके द्वारा राज्य में हरित आवरण को बढ़ाकर 17% करने की दिशा में कार्य करने हेतु कहा गया। खतरनाक गति से बिखरते हुए जैव-विविधता और लुप्त होने के कगार पर पहुंची प्रजातियों के लिए व्यवसाय, वित्तीय संस्थानों, स्थानीय और क्षेत्रीय अधिकारियों, नागरिक समाज, महिलाओं, युवाओं और शिक्षाविदों को जैव-विविधता को महत्व देने, उसकी रक्षा करने और उसे बहाल करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जिससे सभी का लाभ हो।

श्री भारत ज्योति (भा०व०से०), अध्यक्ष, बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद के द्वारा जैव विविधता के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। उनके द्वारा बताया गया कि जैविक विविधता या जैव विविधता शब्द का तात्पर्य पृथ्वी पर मौजूद जीवन रूपों की संपूर्ण विविधता और परिवर्तनशीलता से है। इसमें स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर, मछलियाँ, कीड़े और पौधे, कवक और प्रोटिस्ट, बैक्टीरिया और वायरस जैसे अन्य सूक्ष्मजीवों सहित अन्य अकशेरुकी शामिल हैं। जैव विविधता, अधिक महत्वपूर्ण रूप से, मानव जाति के लिए संसाधनों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है। विविध प्रजातियाँ आजीविका के विविधीकरण को सक्षम बनाती हैं और पूरे वर्ष खाद्य उत्पादन को सक्षम बनाती हैं।
कार्यशाला के दौरान जैव विविधता नीति एवं अधिनियम तथा नियम के मुख्य प्रावधानों पर चर्चा की गई। इस दौरान जैव विविधता अधिनियम तथा बिहार जैव विविधता नियम 2017 में जैव विविधता प्रबंधन समितियां की भूमिका एवं दायित्व, क्रियाकलाप, शक्तियां, संबंधित संशोधन आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया।
श्री सुदामा सिंह, जिला परामर्शी, जिला कृषि कार्यालय, गया, श्रीमती सुशीला सिंह, विशेषज्ञ, मत्स्य संसाधन विभाग एवं सुश्री वर्तिका पटेल, विशेषज्ञ, ठछभ्ै द्वारा जिला के जैव विविधता संबंधी स्थानीय पहलुओं की चर्चा की गई। इस दौरान कृषि एवं बागवानी तथा पशुपालन एवं मात्स्यिकी संबंधी विषयों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई।
श्रीमती शुभ लक्ष्मी ज्योति, सहायक वन संरक्षक, गया वन प्रमंडल, गया द्वारा जिला में जैव विविधता महत्व के स्थल आधार भूमि झील नदी एवं वन्य जीव जंतु तथा उसके संरक्षण से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई।
इस कार्यशाला के माध्यम से स्थानीय जड़ी-बूटी के खेती, बागवानी, कृषि वानिकी को प्रोत्साहित किया गया जिससे किसानो की आय में सतत वृधि होगी। प्राकृतिक वनाच्छादन का संरक्षण करने, वृक्षारोपण का संरक्षण एवं संवर्धन करने हेतु लोगो को प्रोत्साहित किया गया जिससे हरित आवरण में वृद्धि हो तथा जैव विविधता पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाओं में कमी आयेगी जड़ी-बूटी तथा अन्य वनस्पतिक तथा जैविक उत्पाद के प्राकृतिक स्थलों से निष्कासन और व्यापार को अपने संज्ञान में लेकर उन्हें जैव-विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत बिहार राज्य जैव-विविधता पर्षद के माध्यम से अपने विनिमयन में लाये जाने हेतु कहा गया। इस प्रकार के विनिमयन से स्थानीय जैव-विविधता प्रबंधन समिति को ऐसे व्यापार से लाभांश में हिस्सा मिलेगा।
इस कार्यशाला में श्री भारत ज्योति (भा०व०से०), अध्यक्ष, बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड, श्री मिहिर कुमार झा (भा०व०से०), श्री एस० सुधाकर (भा०व०से०), वन सरंक्षक, गया अंचल, गया, श्री शशिकांत कुमार (भा०व०से०) गया वन प्रमंडल पदाधिकारी, गया, श्रीमती शुभ लक्ष्मी ज्योति, सहायक वन संरक्षक, गया वन प्रमंडल, गया, श्री संतोष कुमार, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, गया वन प्रक्षेत्र, गया, जैव विविधता प्रबंधन समितियों के सदस्य एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।