फसल अवशेष जलाने वाले पांच किसानों पर प्राथमिकी, 48 किसानों का पंजीकरण रद्द

दिवाकर तिवारी ।

सासाराम। खेतों में फसल अवशेष जलाने एवं इससे हो रहे नुकसान को देखते हुए अब जिला कृषि विभाग ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। सैटेलाइट इमेज के माध्यम से जिले के विभिन्न प्रखंडों में आग वाले स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है तथा भौतिक सत्यापन कर संबंधित किसानों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा रही है। इसी क्रम में जिला कृषि विभाग ने फसल अवशेष जलाने वाले जिले के कुल 48 किसानों का पंजीकरण रद्द कर सरकार से मिलने वाली विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया है। जबकि बिक्रमगंज प्रखंड में दो, सूर्यपुरा प्रखंड में एक, दिनारा प्रखंड में एक, संझौली प्रखंड में एक सहित कुल 05 व्यक्तियों पर प्राथमिकी तथा कोचस प्रखंड में एक व्यक्ति पर सीआरपीसी की धारा 133 के तहत कार्रवाई करने की अनुसंशा की गई है। बता दें कि इन दिनों कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष नहीं जलाने हेतु सभी पंचायतस्तर पर किसानों को किसान चौपाल एवं कृषक प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूक करते हुए पंचायत स्तर पर माईकिंग के माध्यम से भी पराली नहीं जलाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके जिले के खेतों में धड़ल्ले से पराली जलाने की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। जिससे खेतों के साथ-साथ जान माल का भी नुकसान हो रहा है। वहीं फसल अवशेष प्रबंधन एवं पराली नहीं जलाने को लेकर जिलाधिकारी नवीन कुमार की अध्यक्षता में जिला, अनुमंडल एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारीयों के साथ एक बैठक भी की गई है। जिसमें पराली जलानें वालो के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। डीएम ने कहा है कि कृषि विभाग के सभी पदाधिकारी, प्रसार कर्मी एवं राजस्व कर्मचारी क्षेत्र में रहकर पराली जलाने वाले को चिन्हित करेंगे तथा सभी अनुमण्डल दण्डाधिकारी प्रत्येक दिन फसल अवशेष जलाने की घटना पर अंकुश लगाने हेतु नियमित रूप से पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण करेंगे। ताकि पराली जलाने जैसी घटनाओं पर ससमय अंकुश लगाया जा सके।


इधर जानकारों की माने तो फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं जो मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखने में मदद करते हैं। खेतों में आग लगने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है। जिससे मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन नष्ट हो जाते हैं और वातावरण व स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जबकि फसल अवशेषों को अगर खेतों की मिट्टी में ही मिलाकर नष्ट किया जाए तो इससे मिट्टी की संरचना में सुधार होगा और कार्बनिक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ेगी। जिसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ने से फसल की पैदावार भी बढ़ेगी। लेकिन इसके उलट किसान अपने खेतों में अगली फसल बोने एवं अधिकतम उपज प्राप्त करने के उद्देश्य से फसल अवशेषों को खेतों में ही जला देते हैं। अगली फसल बोने के लिए खेत को खाली करने का किसानों के लिए सबसे सुविधाजनक एवं सस्ता तरीका अवशेषों को जलाना हीं प्रतीत होता है। हालांकि इसे लेकर अब विभाग गंभीर हो चुका है तथा फसल अवशेष जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।