श्री सीमेंट प्लांट के प्रदूषण के खिलाफ पथ प्रदर्शक ने खोला मोर्चा
वरीय संवाददाता ।
औरंगाबाद (बिहार )- औरंगाबाद शहर के नजदीक जसोइया में स्थित बियाडा क्षेत्र में श्री सीमेंट प्लांट की इकाई बिहार सीमेंट प्लांट पिछले कई वर्षों से चल रहा है.प्रदूषण मुक्त प्लांट के नाम पर श्री सीमेंट प्लांट को स्थापित किया गया था, परन्तु अब यह फैक्ट्री आस पास के गांव एवम शहरी क्षेत्र के लिए अभिशाप साबित हो रहा है.प्लांट द्वारा छोड़े जा रहे धूल और धुंआ से स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है.प्लांट द्वारा जल दोहन के कारण जल स्तर काफी नीचे चला गया है.आस पास की जमीनें बंजर होती जा रही हैं और आवासीय भूखंड भी प्रदूषण के कारण खाली पड़ा हुआ है.जनता द्वारा जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक प्रदूषण से मुक्ति की गुहार लगाई गई पर नतीजा कुछ नहीं निकला.औरंगाबाद की चर्चित एक स्वयं सेवी संस्था पथ प्रदर्शक द्वारा पिछले तीन चार सालों से प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रयास तो किया गया परंतु प्लांट की मनमानी के कारण परिणाम शून्य रहा.श्री सीमेंट प्लांट के प्रदूषण का असर अब इस कदर लोगों को प्रभावित कर रहा है कि वे बीमारी की चपेट में आने लगे हैं.फिर से संस्था पथ प्रदर्शक ने प्रदूषण के खिलाफ मोर्चा खोला है एवं टीम द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में जा कर स्वांस,एलर्जी, टीबी,बलगम से पीड़ित मरीजों का सर्वे शुरू किया गया है.
संस्था के सचिव बमेंद्र कुमार सिंह ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान कहा कि सीमेंट प्लांट के सबसे नजदीक और सबसे ज्यादा प्रभावित गांव धबोल है जहां से सर्वे शुरू किया गया है.दो दिनों के सर्वे में जसोइयां के अभिमन्यु सिंह, धबोल के विकास कुमार,प्रमिला कुंवर,सोनी देवी,फिदेश्वर राम,सुनैना देवी, घुटनी देवी,चंदा कुमारी सांस एवं कफ , एलर्जी की बीमारी से ग्रसित मिले जिनका रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है और उसे स्वास्थ्य मंत्रालय भेजा जाएगा.धबोल ने सीमेंट प्लांट पर आरोप लगाया है कि प्लांट द्वारा उन्हें किसी तरह की चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जाता जिस वजह से पटना, गया,रांची,बनारस जा कर खुद ही अपने पैसों से इलाज कराते हैं. बमेंद्र ने आगे कहा कि स्वास्थ्य सर्वे अभियान लगातार जारी रहेगा एवं प्रदूषण प्रभावित क्षेत्रों में जाकर ऐसी बीमारियों का हाल जाना जाएगा.