अनुमंडलीय अस्पताल खुद है बीमार,कैसे होगा मरीजों का इलाज

संतोष कुमार.

अनुमंडलीय अस्पताल बीते कई दिनों से खुद बीमार चल रहा है।ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले मरीज भी दूसरे कई बीमारियों का शिकार होने को मजबूर हैं।अनुमंडलीय अस्पताल के कुव्यवस्था का एक मुख्य कारण प्रभारी डीएस डॉ दिलीप कुमार समेत अस्पताल के सभी चिकित्सक एवं प्रबंधक द्वारा बरती जा रही लापरवाही बताई जा रही है।अनुमंडलीय अस्पताल में महिला चिकित्सक समेत कई कर्मियों का पद रिक्त है।इसके बावजूद मरीजों को मिलने वाली जरूरी सुविधाएं भी नदारद है।वहीं बुद्धिजीवियों की मानें तो अस्पताल में कमियों को गणना की जाए तो संख्या कम पड़ जाएगी,परन्तु अस्पताल की कमियां खत्म नहीं होगी।वहीं अस्पताल में मरीजों को एम्बुलेंस अथवा निजी वाहन से बेड तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर या ट्राई साइकिल नहीं होता है,बन्द बिजली में पैथोलॉजी द्वारा जांच किया जाता है,घण्टों तक ड्यूटी में रहने वाले चिकित्सक अस्पताल से गायब रहते हैं आदि कई तरह की कमियां मौजूद है।

यहां तक कि अनुमंडलीय अस्पताल में शौचालय बिना दरवाजा के महीनों से पड़ा हुआ है।साथ ही शौचालय में कचरों का अंबार भरा पड़ा है।ताजा मामला मंगलवार की सुबह का है।गोपालनगर के चुनचुन कुमार बीती रात्रि से उल्टी एवं दस्त से परेशान थे।वे सुबह लगभग 6 बजे अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे।अस्पताल में ड्यूटी में रहे चिकित्सक ने प्राथमिक इलाज करते हुए स्लाइन आदि जरूरी दवाइयां दी।किन्तु मरीज को थोड़े देर बाद शौचालय जाने की अत्यंत आवश्यकता लगी।जब स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से वे स्लाइन को छुड़ाकर शौचालय गए तो अस्पताल के सभी शौचालय ईंट-पत्थर आदि से भरे पड़े थे।साथ ही किसी मरीज के द्वारा इसके ऊपर भी मल त्याग कर छोड़ दिया गया था।जिससे बहुत दुर्गंध आ रही थी।वहीं जब नल को खोला गया,तो एक बूंद भी पानी नहीं गिरा।ऐसी स्थिति में दस्त के मरीज काफी असहज हो गए और छटपटाहट में पास के रहे एक परिचित के घर चले गए।वहीं मरीज द्वारा अस्पताल प्रबंधन से पूछे जाने पर वे लोग अपना-अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आए।जिसके बाद मरीज द्वारा डायल 104 के टॉल फ्री नम्बर पर कॉल करके शिकायत भी दर्ज कराई गई है।वहीं साफ-सफाई की जिम्मेदारी रखने वाले एनजीओ कर्मी भी अस्पताल में चुप्पी साधे नजर आए।वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधिगण भी कुव्यवस्था से लिपटे अस्पताल को मुक्त कराने में असक्षम दिखाई दे रहे हैं।अस्पताल की ऐसी दुर्दशा देखकर लोग इलाज हेतु अस्पताल आने से भी डरने लगे हैं।

क्या कहते हैं अस्पताल प्रबंधक-

अनुमंडलीय अस्पताल के प्रबंधक इरशाद अहमद ने बताया कि मुझे प्रभार लिए हुए मात्र डेढ़ माह हुआ है।इस दौरान अस्पताल के बेहतर संचालन हेतु बहुत सारे कदम उठाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि समरसेबुल में कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम है।हालांकि बीते सोमवार को प्रसव कक्ष की ओर के शैचालय में पानी मुहैया करवाया गया है।उन्होंने शौचालय में पानी की उपलब्धता को लेकर जल्द ही ठोस कार्रवाई करने की बात कही।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे भी बहुत खराब लगता है जब बिना दरवाजा के अस्पताल आये महिला या मरीज को शौचालय जाना पड़ता है।अस्पताल प्रबंधक ने यह भी कहा कि रोगी कल्याण समिति की मीटिंग में अस्पताल की कमियों को रखा जाएगा।ताकि व्याप्त समस्या का निवारण जल्द से जल्द हो सके।

क्या कहते हैं प्रभारी डीएस-

वहीं अस्पताल के प्रभारी डीएस डॉ दिलीप कुमार ने जिला में सिविल सर्जन के साथ मीटिंग में आने की बात कही।साथ ही कहा कि अस्पताल के कमियों को जल्द दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

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