बिजली,सड़क,सिंचाई व पेयजल समेत दर्जनों समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों में एसडीओ से लगाई न्याय की गुहार
संतोष कुमार.
प्रखण्ड क्षेत्र के हरदिया पंचायत स्थित फुलवरिया डैम के उस पार स्थित गांव सिंगर,मरमो,भानेखाप,सुअरलेटी,कुंभियातरी,परतौनिया,पीपरा, चोरडीहा,नावाडीह,झराही,डेलवा एवं पिछली जमुंदाहा के लगभग 536 घरों के लोगों को सड़क,सिंचाई,पेयजल,राशन,शिक्षा,स्वास्थ्य,आवास,जीविकोपार्जन आदि आधारभूत समस्याओं से गम्भीर रूप से ग्रसित हैं।वहां के ग्रामीणों ने बुधवार को अनुमण्डल कार्यालय आकर एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष को लिखित आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।ग्रामीणों ने बताया कि जीवन जीने के लिए उनके पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है।ऐसे में वे अपना और अपने परिजनों का भरण-पोषण बहुत ही मुश्किल से कर पा रहे हैं।साथ ही कहा कि डैम पार के दर्जनों गांव को मुख्यालय से जोड़ने को लेकर सड़कें भी छिटपुट और आधा अधूरा बनाया गया है।वहीं सिंगर,मरमो,भानेखाप,सुअरलेटी,कुंभियातरी व डेलवा में पड़ोसी राज्य झारखण्ड से बिजली की आपूर्ति की जाती थी,जो बिल्कुल बन्द पड़ा हुआ है।वहीं परतौनिया,पीपरा, चोरडीहा,नावाडीह,झराही एवं पिछली जमुंदाहा में सोलर बैटरी से बिजली का उपभोग किया जा रहा था,जो बीते एक साल से बन्द हो चुका है।वहीं डैम पार स्थित गांवों में लोगों को मजबूरन कुआं अथवा नदी का फ्लोराइड युक्त पानी पीना पड़ रहा है।वहीं सरकारी स्तर पर पीएचईडी द्वारा लगाये गए चापाकलों में दो चापाकल ही ठीक ढंग से काम कर रहा है।वहीं परतौनिया,पीपरा,नावाडीह व झराही में कोई स्कूल नहीं है।
वहीं डैम पार के सभी ग्रामीणों को 20 से 60 किलोमीटर दूर स्थित अनुमंडलीय अस्पताल में आकर स्वास्थ्य सेवा लेना पड़ता है,जो कि सड़क के समुचित व्यवस्था के कारण काफी कठिन है।वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 से सुअरलेटी,मरमो,हरदिया एवं सिंगर के अबतक 1311 लोगों को आवास की सुविधा स्वीकृत की जा चुकी है।किन्तु डेलवा में 35,झारही में 14,नावाडीह में 7,चोरडीहा में 47,परतौनिया और पीपरा में 43 एवं पिछली जमुंदाहा में 59 घरों को अबतक मुख्यमंत्री आवास नहीं मिल पाया है।वहीं डैम पार के ग्रामीण प्रत्येक माह जनवितरण प्रणाली से अनाज उठाव हेतु हरदिया जाना पड़ता है,जिसमें उन्हें अनाज से ज्यादा आने-जाने का भाड़ा किराया लग जाता है।साथ ही कहा कि डैम पार के गांवों में जीविका की उपस्थिति न के बराबर है।और न ही मनरेगा द्वारा चेकडैम,तालाब एवं अमृत सरोवर बनाया गया है।साथ ही ग्रामीणों ने कहा कि यदि पशुपालन विभाग के माध्यम से पशु ऋण अथवा अनुदान दिया जाए तो ग्रामीणों को जीविकोपार्जन में आसानी होगी।वहीं ग्रामीणों ने कहा कि कई सरकारी योजनाएं वन विभाग द्वारा एनओसी नहीं दिए जाने के कारण ठप पड़ी हुई है।