महिलाओं को सावित्रीबाई फुले के कार्यों से प्रेरणा लेने की जरूरत: वीणा गिरी
धीरज ।
गया। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।
जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं और वह देश और समाज तरक्की नहीं करता। इसी श्लोक से प्रेरणा पाकर सावित्रीबाई फुले ने अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर अस्पृश्यता, आधिपत्य, समाज विरोधी ताकतों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ कर महिलाओं की शिक्षा के लिए क्रान्तिकारी अभियान शुरू किया। जिसकी बदौलत महिलाओं को चुल्हा चौका से आगे निकल कर पढ़ने का अवसर मिला। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों की लड़कियों को शिक्षा की चौखट तक पहुंचाया। उनके लिए स्कूल खोले और ऐसे समय में लाखों लोगों के जीवन में शिक्षा के रूप में आशा किरण जगाई। उक्त बातें सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रही महिला समाजसेवी वीणा गिरी ने कही। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले, जो नारी शक्ति की प्रतीक हैं। उन्होंने 18वीं शताब्दी में महिलाओं के लिए जो कार्य किया है उनसे आज की महिलाओं को उनके कार्यों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।नारी सशक्तिकरण का विषय अब केंद्र और राज्य सरकारों का मुख्य केंद्र बन गया है। इसका श्रेय भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को जाता है। हम उनकी जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।आज महिला सशक्तिकरण व समाज सुधार का अभियान और अधिक प्रासंगिक हो गया है क्योंकि हम एक नए भारत ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण कर रहे हैं। इसी दिशा में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान एक वरदान साबित हो रहा है।
हमारी बेटियाँ बहुत कुशल व प्रतिभाशाली है। अगर उन्हें सही प्रकार से मार्गदर्शन व उचित पटल प्रदान किया जाए, तो वे जीवन में नई उचाइयों को छू सकती हैं। साथ ही समाज और देश की तरक्की में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। भारत की कुछ महान महिला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, सुषमा स्वराज, निर्मला सीतारमण, जे जयललिता, आनंदी गोपाल जोशी, जो महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं। भारत की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति अन्ना चाण्डी, अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारत की बेटी कल्पना चावला तथा अबला बोस व अन्य महिलाएं शिक्षा की उन्नति में किए गए उनके प्रयासों के लिए जानी जाती है। पहले कन्या को बोझ के रूप में देखा जाता था लेकिन अब महालक्ष्मी के रूप में देखा जाता है।यह एक अच्छा शगुन है।