बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश मे संशोधित कर सुधार करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शीघ्र हस्तक्षेप कर पहल करने की जरूरत- सत्येंद्र कुमार .
विश्वनाथ आनंद
औरंगाबाद (बिहार)- बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप- गुट ) मूल की जिला स्तरीय बैठक आहूत किया गया. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री को बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश मे संशोधित करते हुए शीघ्र हस्तक्षेप करने का वकालत किया गया. बैठक के दौरान कहा गया कि सरकार के शिक्षा विभाग के द्वारा कतिपय ऐसे आदेश निर्गत किए गए हैं जिनमें अत्यावश्यक सुधार हेतु माननीय मुख्यमंत्री महोदय के स्तर से शीघ्र हस्तक्षेप की आवश्यकता है । वस्तुत: कल माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पत्रांक:-2702, दिनांक:-28-11-2023 के द्वारा जारी आदेश तो संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात हीं करता हुआ प्रतीत होता है जिसमें शिक्षकों को न सिर्फ सोशल मीडिया पर अपने विचार अभिव्यक्त करने पर रोक लगाई गई है बल्कि अन्य परंपरागत दृश्य-श्रव्य मीडिया में भी उन्हें अपने विचारों को अभिव्यक्त करने पर रोक लगा दी गई है । यह आदेश सहसा हीं आपात-काल की याद दिला देता है जब भारत के आम नागरिकों को अपने विचार अभिव्यक्त करने पर रोक लगा दी गई थी ।”– उक्त बातें बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ(गोप गुट)’मूल’ के राज्य महासचिव सत्येन्द्र कुमार ने आज यहां अरविंदो मिशन स्कूल के प्रांगण में शिक्षकों की एक आपात बैठक को संबोधित करते हुए कही । उन्होंने कहा कि उक्त आपातकालीन दमन का शिकार बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी होना पड़ा था जब उनके स्तर से एक आंदोलनकारी के रूप में उक्त तानाशाही का तब विरोध किया जा रहा था । लेकिन आज की परिस्थिति में यह एक विडंबना हीं कही जायेगी कि ऐसे आंदोलनकारी मुख्यमंत्री के रहते हुए भी आज अभिव्यक्ति की आजादी का दमन करने वाला उक्त किस्म का गैरजरूरी आदेश उन शिक्षकों के खिलाफ निकाला जा रहा है जिन्हें समाज-निर्माता या राष्ट्र-निर्माता कहा जाता है । यह बेहद दुखद है कि उक्त आदेश के माध्यम से शिक्षकों को न केवल संघ बनाने पर रोक लगाई गई है बल्कि उन्हें किसी भी संघ की सदस्यता लेने पर भी रोक लगा दी गई है और शिक्षकों की किसी भी प्रकार की संघीय गतिविधि को शिक्षा विभाग गैर-कानूनी घोषित कर चुका है। इसे शिक्षकों के ट्रेड यूनियन ऐक्ट के तहत संघ बनाने के कानूनी अधिकार के साथ-साथ प्रकारांतर से उनके मौलिक-अधिकारों का हनन करना हीं कहा जाएगा । उन्होंने कहा कि इस तरह से आवाज दबाने वाली कार्रवाईयो को बिहार का शिक्षक समाज कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगा ।आज के इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर यह रेखांकित किया गया कि शिक्षा विभाग ने वर्ष:- 2024 के लिए शिक्षा विभाग ने जो छुट्टियों की लिस्ट जारी की है उसमें कई तरह की विसंगतियां दिख रही हैं जिनके कारण राज्य के शिक्षकों में भारी क्षोभ एवं रोष व्याप्त है । मसलन, ग्रीष्मावकाश के समय शिक्षकों को अनावश्यक तौर पर विद्यालय में बुलाने से लेकर कुछ रविवारों को भी 60 दिनों की छुट्टी लिस्ट में काउंट कर लेने की विसंगतियां साफ दिख रही हैं । इस सन्दर्भ में संघ की ओर से सरकार को यह सुझाव देने का भी निर्णय लिया गया है कि यदि शिक्षा विभाग या सरकार ग्रीष्मावकाश की अवधि में शिक्षकों से शिक्षा हित से संबंधित कोई कार्य करवाना हीं चाहती है तो सरकार नियमों में संशोधन कर के शिक्षकों के लिए भी अन्य राज्यकर्मियों की भांति साल में 33 दिनों का अर्जित अवकाश(EL) का प्रावधान कर दे । अगर सरकार शिक्षकों का अर्जितावकाश अन्य राज्य कर्मियों की भांति मौजूदा 14 दिनों के बजाए 33 दिन कर देती है तो हमारा संघ शिक्षकों से ग्रीष्मावकाश की अवधि में भी विद्यालय के अंदर शिक्षा की बेहतरी के लिए शैक्षिक कार्य कराने का समर्थन करेगा । बैठक में वार्षिक छुट्टी लिस्ट निर्धारित करने का सवाल पर सरकार से यह मांग की गई है कि इसे पूर्व की भांति संबंधित जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों के ऊपर हीं छोड़ देना उचित होगा जो स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत ढंग से वार्षिक छुट्टी लिस्ट तैयार करेंगे । इन सबके अलावा शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए नए टाइम-टेबल के मुताबिक अब शिक्षकों की छुट्टी अपराह्न 04:00 बजे के बजाए पांच बजे होगी जबकि पूर्वाह्न 09:00 बजे हीं विद्यालय खुल जाता है । इस सन्दर्भ में भी सरकार को यह सुझाव देने का निर्णय लिया गया कि शिक्षा विभाग यदि विद्यालयों को भी अन्य सरकारी कार्यालयों के अनुरूप हीं संचालित करना चाहता है तो शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह विद्यालयों को अन्य सरकारी कार्यालयों की भांति हीं पूर्वाह्न-09:00 बजे के बजाए 10:00 बजे से खोलने का आदेश निर्गत करे ! आज की बैठक में इस तथ्य को भी सर्वसम्मति से रेखांकित किया गया कि आज सरकारी विद्यालयों में छात्रों के अनुपात में कम शिक्षक होने के बावजूद जिस तरह से शिक्षक लगभग प्रतिदिन आंकड़ेबाजी वाला विभिन्न तरह के रिपोर्ट तैयार करने के अलावा अन्य किस्म के सरकारी कार्यबोझ से दबे हुए हैं उससे शिक्षा की गुणावता में सुधार की गुंजायस लगातार कम हो रही है । मुख्यरूप से असह्य कार्यबोझ के कारण आज सरकारी विद्यालयों के शिक्षक निरंतर तनावग्रस्त रह रहे हैं ।आज की बैठक में इस बात पर भी रोष व्यक्त किया गया कि शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने समेत शिक्षक-हित से संबंधित सरकार द्वारा घोषित सारे निर्णय अभी भी कार्यान्वित नहीं हो पाए हैं लेकिन शिक्षकों की आवाज को दबाकर रखने वाले आदेश धड़ाधड़ निर्गत किए जा रहे हैं । उपर्युक्त कारणों से राज्य के सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों का मनोबल लगातार गिर रहा है तथा वे निरंतर तनावग्रस्त रह रहे हैं । वास्तव में यह स्थिति शिक्षा में गुणावता हासिल करने और आज के बच्चों को भविष्य का एक बेहतर नागरिक बनाने के उद्देश्यों की पूर्ति में एक बड़ी बाधा बनी हुई है ।बैठक ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से यह मांग की है कि वह शिक्षक संगठनों के साथ शिष्टमंडल वार्ता कर के शिक्षा एवं शिक्षकों से संबंधित उपर्युक्त समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान किया जाए ताकि शिक्षक पूरे मनोयोग के साथ शिक्षा में गुणावता के सरकारी लक्ष्य की पूर्ति हेतु विद्यालयों में बच्चों के बीच अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकें । अगर शीघ्र हीं उपर्युक्त समस्याओं का न्यायसंगत हल नहीं ढूंढा गया तो शिक्षकों को बाध्य होकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा जिसकी सारी जवाबदेही और उनके आला अधिकारियों की होगी ।
आज की इस बैठक की अध्यक्षता संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने की जबकि संचालन जिला सचिव अवधेश कुमार ने किया । इसके अलावा आज की इस बैठक में जिला संयुक्त सचिव शाहिद अंसारी, मो हासिम अली,जिला उपाध्यक्ष मो आफताब आलम, मो महफूज आलम जिला सम्मानित अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद चंद्रवंशी,जिला मुख्य संरक्षक सुरेंद्र सिंह,जिला कोषाध्यक्ष प्रह्लाद प्रसाद,इत्यादि कई लोग इस बैठक में शामिल हुए ।