शब्दाक्षर बिहार प्रदेश की औरंगाबाद इकाई द्वारा काव्य-संध्या का किया गया आयोजन – डॉ.कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी .
विश्वनाथ आनंद,
औरंगाबाद (बिहार )- राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ की औरंगाबाद जिला इकाई के तत्वावधान में शहर के बिराटपुर स्थित ज्ञान कुंज विद्यालय के सभागार में एक काव्य-संध्या का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता शब्दाक्षर बिहार के प्रदेश संगठन मंत्री विनय मामूली बुद्धि तथा संचालन जिला संगठन सचिव अनिल कुमार ने किया. गोष्ठी का शुभारंभ मंत्रध्वनि एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया.
शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी एवं बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र ‘पद्मनाभ’ ने शब्दाक्षर औरंगाबाद के इस साहित्यिक आयोजन पर हार्दिक खुशी व्यक्त करते हुए जिला समिति के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की हैं. ‘शब्दाक्षर’ के कुटुंबा प्रखंड अध्यक्ष कुमार सानू मौर्य ने सरस्वती वंदना के साथ कवि-गोष्ठी की विधिवत शुरुआत की.श्री मौर्य की ‘मत हंसा कर अश्कों पर कभी किसी के, आंसू हमेशा दर्द के सबूत ना होते।’ अनिल अनल की “वारि वायु की बातें करे क्या कोई, जब प्रदूषित यहां आदमी हो गया है .सिसकती खड़ी आदमीयत कहीं, आदमी में यहां आदमी खो गया”, उपाध्यक्ष जनार्दन मिश्र जलज की “ज्ञान ज्योति का पर्व है, हृदय करो उजियार। मन का दीपक जब जले, जगमग जग संसार” पंक्तियों पर तालियों की गड़गड़ाहट से परिसर गुंजित हो गया. नागेंद्र कुमार केसरी की प्रस्तुति- “एक नन्हा बच्चा सोया था, मीठे सपनों में खोया था” पर दर्शक व श्रोता भाव-विह्वल होकर आंसू पोंछते नज़र आये.नवोदित शायर हिमांशु चक्रपाणि की गजल “जब किसी रोज मेरे दिल की गली तू आई, तो लगा जैसे किसी बाग से खुशबू आई”, कवि अनुज बेचैन की ‘प्रेमचंद तुम्हारी याद आती है आज भी’ पंक्तियां काफी प्रशंसित हुईं। शब्दाक्षर औरंगाबाद जिलाध्यक्ष धनंजय जयपुरी की श्रृंगार रस से ओत-प्रोत कवित्त -“द्वार खड़ी इक सुन्दर नार लगे जस मन्मथ की यह जाया, है कच रम्य कपोल सुरम्य कुचादि अनन्य व कंचन काया” ने उपस्थित जन सामान्य के मन में प्रेम रस का संचार कर दिया.अध्यक्षीय उद्बोधन में मामूली बुद्धि ने उक्त संस्था के माध्यम से लोगों को साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. गोष्ठी में सुरेश विद्यार्थी, राहुल कुमार, अनिल कुमार सिंह, मनोज कुमार सिंह, मोहम्मद परवेज आदि अनेक साहित्यानुरागी उपस्थित थे.