अपने कड़वे अनुभवों को बेहतर में बदलें, प्रोफेसर यूएसएन मूर्ति
धीरज गुप्ता,
गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सीयूएसबी के स्कूल ऑफ अर्थ, बायोलॉजिकल एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज एसईबीईएस में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च एनआईपीईआर, गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर यूएसएन मूर्ति में विशेष व्याख्यान दिया है जन सम्पर्क पदाधिकारी पीआरओ ने बताया कि एसईबीईएस के तत्वावधान में बायोइन्फरमेटिक्स विभाग द्वारा व्याख्यान को आर्यभट्ट भवन में आयोजित किया गया है| पीआरओ ने कहा कि प्रो. मूर्ति एक प्रसिद्ध बायोलॉजिस्ट और बायोइन्फरमेटिक्स स्पेशलिस्ट हैं | अपने चालीस (40) वर्षों से अधिक के करियर मे उन्होंने भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया और एनआईपीईआर हैदराबाद, मोहाली और वर्तमान में गुवाहाटी सहित कई संस्थानों के निदेशक के रूप में कार्य किया है । प्रो. मूर्ति, भारत सरकार सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग डीबीटीके प्रमुख बायोएनईएसटी कार्यक्रम का नेतृत्व भी कर रहे हैं।प्रो. मूर्ति ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए विज्ञान के छेत्र में सफल करियर बनाने के लिए कई सुझाव और बहुमूल्य टिप्स मंत्र साझा किए। उन्होंने अपने स्वयं के अनुभवों से कहा कि उन्होंने गुवाहाटी में मुश्किल से 10-20 छात्रों के साथ शुरुआत की थी और इस संस्थान को विकास के रस्ते में आगे लाने की यात्रा काफी कठिन थी। संस्थान के निदेशक के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान आज एनआईपीईआर गुवाहाटी एनआईआरएफ रैंकिंग में 12वें स्थान पर है। प्रो. मूर्ति ने कहा कि व्यक्ति को अपने कड़वे अनुभवों को बेहतर में बदलने की कला सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपका अहंकार सबसे विषैले तत्वों में से एक है जो किसी के विकास के रास्ते में आता है। प्रो. मूर्ति आगे कहा कि जैविक और फार्मास्युटिकल विज्ञान में स्टार्टअप और इनक्यूबेटरों के लिए भारत की बैठक में अनुसंधान सहयोग, विशेष रूप से उद्योग-अकादमिक सहयोग के विभिन्न अवसरों पर चर्चा की गई और बौद्धिक संपदा अधिकारों परज़ोर दिया गया है। उन्होंने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि वर्तमान परिदृश्य में, कोई भी अकेले रहकर काम नहीं कर सकता और विकास नहीं कर सकता है। सफल होने के लिए व्यक्ति को उपयोगी सहयोग और नेटवर्किंग की तलाश जारी रखनी होगी। उन्होंने विस्तार से बताया कि वैज्ञानिक अनुसंधान प्रस्ताव के लिए अनुदान देने से पहले फंडिंग एजेंसियां के अपेक्षाओं के बारे में बताते हुए इसके जटिल प्रक्रिया के बारे में भी विस्तार से छात्रों को अवगत कराया है।इससे पहले, स्कूल ऑफ अर्थ बायोलॉजिकल एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज के डीन प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने स्वागत भाषण दिया है। आगे प्रो. आर. एस. राठौर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि प्रो. मूर्ति वैज्ञानिकों के लिए एक आदर्श हैं। बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. रिजवानुल हक, अनुसंधान एवं विकास सेल निदेशक प्रो.दुर्ग विजय सिंह, बायोइन्फरमेटिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष शंकर, फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक दवे, केमिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अमिय प्रियम रसायन विज्ञान विभाग के साथ बायोटेक्नोलॉजी, बायोइन्फरमेटिक्स, केमिस्ट्री सहित फार्मेसी विभाग के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र इस कार्यक्रम में मौजूद थे |