वर्मी कंपोस्ट उत्पादन तकनीक के बारे में महिलाओं को दी गई जानकारी

दिवाकर तिवारी ।

रोहतास। कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास द्वारा गुरुवार को ग्राम लेवड़ा, गजीरामपुर एवं तरार में अनुसूचित जाति सब प्लान अंतर्गत तीन महिला संगठनों के 40 लोगों को वर्मी कंपोस्ट उत्पादन तकनीक के बारे में बताया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कृषि विज्ञान केंद्र की प्रधान डॉ शोभारानी ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में कई सारे बीमारियों की जड़ रसायन एवं उर्वरक से उत्पादित खाद्य पदार्थ हैं। जो सब्जियां और अनाज हम पैदा कर रहे हैं यदि उनमें हम वर्मी कंपोस्ट खाद का व्यवहार करें तो रसायन एवं उर्वरकों के दुष्प्रभाव से हम अपने आप को बचा पाएंगे। इस मौके पर उन्होंने महिलाओं को प्रथम पंक्ति प्रत्यक्षण अंतर्गत केंद्र द्वारा उत्पादित वर्मी कंपोस्ट उत्पादन हेतु केंचुआ प्रदान किया। डॉ रामाकांत सिंह मृदा वैज्ञानिक ने छोटे-छोटे गड्ढे बनाकर गोबर, फसल अवशेष एवं किचन अवशेष इत्यादि सामग्रियों द्वारा वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। वहीं गांव में 25 महिलाओं के यहां वर्मी कंपोस्ट उत्पादन प्रक्रिया की शुरुआत आज की गई। इन सभी महिलाओं को सात दिवसीय वर्मी कंपोस्ट उत्पादन पर प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा पहले ही दिया जा चुका था। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ आर के जलज ने बताया कि फसल अवशेष को जलाएं नहीं बल्कि उनका खाद बनाने में इस्तेमाल करें, जिससे मृदा में अच्छा सुधार हो सके। डॉ रतन कुमार ने बताया कि केंद्र के द्वारा इस गांव में तीनों महिला समूह के यहां किचन गार्डन में वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग से स्वास्थ्यवर्धक सब्जियां उत्पादन करने की सलाह दी गई। कार्यक्रम में तेतरी देवी, सरिता देवी, शकुंतला देवी, चंद्रावती देवी, आरती देवी, गुड़िया देवी, सूर्यमुखी देवी, प्रभादेवी, रामकली देवी, नीतू देवी, निर्मला देवी सहित कुल 40 महिलाएं उपस्थित थी।

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