‘शब्दाक्षर’ की त्रैमासिक पत्रिका के जुलाई-सितंबर 2023 अंक का भव्य लोकार्पण काव्यानुष्ठान के साथ सम्पन्न
धीरज ।
गया। राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ की त्रैमासिक पत्रिका के जुलाई-सितंबर 2023 अंक का लोकार्पण ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष-सह-पत्रिका के मुख्य संपादक रवि प्रताप सिंह, लोकार्पण विभूति प्रदेश अध्यक्ष मध्य प्रदेश राजीव खरे, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दया शंकर मिश्रा, डॉ आदर्श प्रकाश, सत्येन्द्र सिंह ‘सत्य’, कार्यक्रम संचालिका ज्योति नारायण एवं भारत के अनेक राज्यों से जुड़े ‘शब्दाक्षर’ के अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ है। लोकार्पण समारोह का शुभारंभ वंदना चौधरी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना “माँ मेरी शारदे” की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ है। लोकार्पण के पश्चात राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने पत्रिका के संपादन एवं प्रकाशन में संलग्न सभी सहयोगियों के प्रति आभार जताया है। लोकार्पण के उपरांत काव्यानुष्ठान सत्र में शायर रवि प्रताप सिंह की ग़ज़ल “अपने दिल पर लग जाये या ग़ैरों के उर पे, अंतस में यदि ठेस लगे, सहलाया जाता है” पर खूब वाहवाहियाँ लगीं है। ज्योति नारायण की “सावन मनभावन बहुत, सुर छेड़े है सात” तथा तमिलनाडु शब्दाक्षर प्रदेश अध्यक्ष केवल कोठारी की “ऊखल में सिर देने की जब हिम्मत है कर ली, मूसल की चोटों से क्यों घबराया है” को भी श्रोताओं ने खूब सराहा है। काव्य-सत्र में लोकार्पण अतिथियों के अतिरिक्त कवि कृष्ण कुमार दूबे, अनामिका सिंह, अजय मदहोश, सीमा स्वस्तिका, विश्वजीत शर्मा सागर , शिल्पी भटनागर, डॉ सुमन सुरभि, ईशा गुप्ता, गीता अग्रवाल, डॉ. राजीव सिंह, अमेरिका से जुड़ी सीमा त्रिवेदी, विनोद कुमार सिंह व अन्य ने भी अपनी कविताओं का सुमधुर पाठ किया गया है। शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बताया कि ‘शब्दाक्षर त्रैमासिकी’ के जुलाई-सितंबर-2023 के अंक में देश भर के शब्दाक्षर पदाधिकारियों एवं साहित्यकारों की विभिन्न विधाओं में लिखी गयी हिन्दी रचनाओं का सुंदर संकलन है, जो पाठकों को अवश्य पसंद आयेगा। इसे निर्धारित शुल्क के साथ बुक पोस्ट से मंगवाया जा सकता है। डॉ. रश्मि ने कहा कि काव्यानुष्ठान के साथ पत्रिका का लोकार्पण किया जाना ‘शब्दाक्षर’ की साहित्यनिष्ठा को दर्शाता है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण ‘शब्दाक्षर केन्द्रीय पेज’ से किया गया है।जिससे अनेक साहित्य-प्रेमी श्रोता व दर्शकों ने जुड़ कर साहित्य का रसपान किया।