लोकसभा चुनाव का कुछ महीने रह गए हैं जातीय गोलबंदी शुरू-आदित्य कुमार
गजेंद्र कुमार सिंह ।
शिवहर—- जिले में लोकसभा चुनाव के मात्र कुछ महीने बाकी रह गए हैं लेकिन जातीयता गोलबंदी शुरू है । चुनाव से पहले जातीय एक मुद्दा बनकर ता है। इस चुनाव में पूर्व से ही विभिन्न दल के नेताओं द्वारा जातीय गोलबंदी शुरू कर दिया गया है जो आपके क्षेत्र के विकास के लिए सबसे बड़ा बाधक है।
जो लोग जाती के नाम पर आपसे वोट मांगते हैं, लेते हैं और जीतकर सांसद, विधायक या मंत्री बनते हैं वो अपना व्यक्तिगत विकास के अलावे आपके क्षेत्र या आपके जाती के विकास के लिए कुछ सोचता है क्या?
जो नेता या प्रत्याशी जाती के नाम पर जातीय गोलबंदी करता है उसे क्षेत्र या अपने जाती विशेष के विकास से कोई मतलब नहीं होता है। वो अपने जाती के लोगो को इंसान नहीं, वोट समझता है और खुद को उस जाती का ठेकेदार समझता है।
लोकनेता या प्रत्याशी ऐसा होना चाहिए जो जातीय भावना से पड़े हो। जिसमें सभी वर्ग के लिए एक समान विचार हो। जिसमें समाज में समरसता कायम करने की भावना हो।
जो व्यक्ति जातिवादी मानसिकता से ग्रसित है वो समाज के साथ साथ अपने जाती वाले लोगो के लिए भी सबसे बड़ा दुश्मन है। ऐसे लोगो को चिन्हित कर वहिष्कृत किया जाना चाहिए जो समाज में जातीय भावना फैलाकर समाज को विभाजित करने का काम करता है। ऐसे लोग समाज में दीमक की तरह हैं जो जाती के आधार पर वोट मांगते हैं या वोट करते हैं।
कुछ लोग अपने जाती के नेताओं के लिए हद भी पार कर देते हैं। ऐसे लोगो को समझना चाहिए कि मांझी समाज से जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री बने लेकिन मांझी समाज के लिए क्या भला कर पाए? बताते चलूं कि इनका अयोग्य बेटा मंत्री तक बन गया।
खुद को सन ऑफ मल्लाह कहने वाले मुकेश सहनी का भाषण देख लीजिए। मल्लाह जाती के लोगो के किये कभी ये नहीं बोला कि मेरे जाती के मेरे भाइयों की संख्या इतनी है बल्कि उसने हमेशा ये बोला कि मेरे पास वोट बैंक इतना है। मतलब अपने लोग लोग नहीं, वोट बैंक है। इसी दम पर विधानसभा हारकर भी मंत्री बना।
बताते चलूं कि मुकेश सहनी खुद पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री रहे। मेरे कोई भाई जो मल्लाह जाती से हो वो बता दे कि मुकेश सहनी ने मल्लाह भाइयों के लिए क्या किया? सबको पता है कि कुछ नहीं किया लेकिन जातिवाद करते करते अपना कैरियर सेट कर लिया।
नीतीश कुमार कुर्मी जाती से होते हुए बिहार पर पिछले 15 वर्षों से शासन कर रहे हैं। आप देख लीजिए कि कुर्मी जाती के लिए उन्होंने क्या किया?
लालू, राबड़ी भी 15 वर्षों तक शासन किये। लेकिन उन्होंने क्या किया सबको पता है। उनका दो नालायक बेटा आज मंत्री बना हुआ है।
मतलब स्पष्ट है। कोई भी व्यक्ति जाती के नाम पर आपसे सिर्फ वोट ले सकता है। आपका बहुमूल्य वोट लेकर खुद और अपने परिवार का भला कर सकता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर आपको पहचानेगा भी नहीं।
इसलिए ऐसे नेताओं को औकात जरूरत दिखाए जो आपके वोट का सौदा करता हो, जो आपके मान और भविमान से खिलवाड़ करता हो।
सजग होइए, जागरूक होइए, जातिवाद को खत्म कर एक जातिविहीन और समरस समाज का निर्माण करिए। जातीय भावना से पड़े विचार रखने वाले लोगो का समर्थन करिए।