विपक्षी एकता के शिल्पकार नीतीश कुमार की मुहीम रंग लाई

संजय वर्मा ।

विपक्षी महाजुटान में शामिल कश्मीर से कन्याकुमारी तक के प्रायः सभी प्रमुख पार्टीयो में एकता अंततः हो गई। सर्वानुमति बनी की भाजपा के खिलाफ 2024 में मिलकर चुनाव लड़ेंगे विचारधारा के स्तर पर जो भी आपस का मतभेद है वो दरकिनार करके मिलजुलकर करेंगे तो यह तो क्लियर हो गया कि जो यह भविष्यवाणी कर रहे थे विपक्षी एकता किसी सूरत में नहीं होगी उनके गालों पर करारा तमाचा लग गया जिसकी आवाज़ 2024 के चुनाव तक सुनाई देगी पूरे देश मे हर लोकसभा में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार दिए जाने पर सहमति बनी विपक्षी एकजुटता को कोई मोर्चा का रूप देकर नामाकरण कर दिया जाएगा जिसके संयोजक नीतीश कुमार बनाये जाएंगे। कोई अड़चन कहीं नहीं है यह राहुल गांधी खड़गे लालू यादव ममता अखिलेश स्टालिन सहित सभी 28 प्रमुख नेताओं ने बड़े ही साफगोई से कह दिया सभी ने कहा दल नही दिल मिल रहे है इस विपक्षी एकता के शिल्पकार नीतीश कुमार महीनों से इस प्रयास में लगे रहे ततपश्चात 23 जून को इसका मूर्तरूप देखने को मिला यह साधारण बात नहीं कि बिभिन्न विचारधारा के लोगो को एक मंच पर लाना विपक्षी एकता के तैयार करना और उसमें पूर्णतः सफलता मिल जाना है आज वो नीव पड़ गई जिसका अभाव 2019 लोकसभा चुनाव था पर अब विपक्ष को गम्भीर चुनौती पेश करेगा भाजपा जितनी डींगे हांक ले पर 2024 आसान नही होगा यह भारतीय में अप्रत्याशित और ऐतिहासिक घटना है जब सम्पूर्ण विपक्ष हो पाया नीतीश की रणनीतिक कौशल ने असम्भव को सम्भव बना दिया अब शिमला में 10 से 12 जुलाई तक की बैठक में यह भी तय हो जाएगा नए मोर्चे का नाम क्या होगा और कौन इसके पदाधिकारी होंगे साथ ही सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी तय होगा हर लोकसभा पर बारीकी से मंथन होगा कौन दल किस राज्य में किस लोकसभा से लड़ेगा यह भी तय होगा यानी हर चीज का ब्लूप्रिंट तैयार हो जाएगा कांग्रेस ने अपनी ओर से बड़ा दिल दिखाया है और विपक्षी पार्टियां भी बड़ा दिल दिखाने को तैयार है विपक्ष की चट्टानी एकता के आगे भाजपा या मोदी सेना का 2024 में वापसी में रोड़े ही रोड़े बिछ गए हैं।