शब्दवीणा बिहार प्रदेश समिति द्वारा बिहार दिवस पर ‘परिचर्चा एवं काव्यांजलि’ का हुआ आयोजन

WhatsApp Image 2025-03-24 at 7.08.50 PM

-बिहार के कई जिलों से जुड़े शब्दवीणा कवियों ने अर्पित की भावभीनी काव्यांजलि.
विश्वनाथ आनंद
गया (बिहार)- राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की बिहार प्रदेश समिति द्वारा बिहार दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित साहित्यिक परिचर्चा एवं काव्यांजलि में बिहार के गया, पटना, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, बेगूसराय, नालंदा, समस्तीपुर आदि जिलों के शब्दवीणा कवियों व साहित्यकारों ने बिहार के गौरवशाली अतीत, चुनौतियों से परिपूर्ण वर्तमान एवं स्वर्णिम भविष्य पर अपने विचार रखते हुए बिहार की शस्यश्यामला धरती को भावभीनी काव्यांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं शब्दवीणा गीत से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता शब्दवीणा गया जिला संरक्षक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामसिंहासन सिंह ने तथा संचालन शब्दवीणा की संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में शब्दवीणा

बिहार प्रदेश संगठन मंत्री प्रो. डॉ. दीनानाथ एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय की उपस्थिति रही। परिचर्चा एवं काव्यांजलि में डॉ रामसिंहासन सिंह, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, अनामिका अनु, डॉ रवि प्रकाश, पंकज मिश्र, प्रो. सुशील कुमार उपाध्याय, प्रो. दीनानाथ, डॉ गोपाल निर्दोष, ललित शंकर, दीपक कुमार, अनिल कुमार, सुरेश विद्यार्थी, गोविंद सिंह भारद्वाज, सावन कुमार ने भारत देश की प्रगति में बिहार के मूल्यवान योगदान, कुछ प्रदेशों में मेहनती व प्रतिभावान बिहारियों के साथ किये जा रहे अनुचित दुर्व्यवहार, एवं बिहार में कैसे रहेगी बहार विषयों पर विचार प्रकट करते हुए अपनी स्वरचित रचनाएँ पढ़ीं।
डॉ रश्मि ने “है गौतम की जो तपोभूमि, गंगा-फल्गू की जहाँ धार। हैं जहाँ नारियाँ सीता-सी वह है अपना प्यारा बिहार” जैसी पंक्तियों द्वारा बिहार की गौरवमयी महिमा का सारगर्भित चित्रण किया। शब्दवीणा बिहार प्रदेश साहित्य मंत्री एवं जहानाबाद जिला अध्यक्ष ललित शंकर की पंक्ति “नालंदा की ईंट में छिपा ज्ञान का सार। विश्व गुरु की राह में, जग में था विस्तार” को भी बहुत सराहना मिली।

You may have missed