औरंगाबाद में अदरी नदी बचाओ आंदोलन को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओ ने स्थानीय होटल में किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद (बिहार)- बिहार के औरंगाबाद में अदरी बचाओ आंदोलन को लेकर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक निजी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. जिसका नेतृत्व औरंगाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने किया. उपस्थित मीडिया को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने कहा कि औरंगाबाद के अदरी नदी प्रदूषण के चपेट में पूरी तरह से हो चुका है . तथा नदी को अतिक्रमण की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ शहर का गंदगी नदी में फेंका जा रहा है. जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो रही है. वहीं कई बीमारी का आमंत्रण भी दे रहा है. ताजूब तो इस बात की है की एक तरफ बिहार में छठ पूजा पवित्र के साथ किया जाता है. वही छठ व्रतियो को अदरी नदी में गंदे पानियों से स्नान कर पूजा अर्चना करने को मजबूर है. जबकि सरकार नदी नाले को सफाई करने को लेकर कई योजनाएं चलाई है. इसके बावजूद भी अदरी नदी की सफाई नहीं किया जाना कई सवालों को खड़ा करता है. उन्होंने आगे कहा कि औरंगाबाद की गंगा अदरी माता जल जीवन की जीवन दाता है. उन्होंने कहा कि मर रही अदरी मर रहा औरंगाबाद. क्रोधित हो उठेगी मैया छठी, गंगा किया यदि अदरी नदी. उन्होंने आगे कहा कि औरंगाबाद कर चीत्कार अदरी, बचाओ अबकी बार. छठ व्रतिओ का करे सम्मान, नदियों का ना हो अपमान. राम तेरी अदरी मैली हो गई मैली हो गई पापियों के……

इसी तरह कुमार शिवम, सूर्यकांत, पुरुषोत्तम कुमार, अजीत कुमार, अंकित कुमार ,विकास कुमार, अमर उजाला ,भीम मेहता ,नागेंद्र सिंह, विक्रांत प्रताप सिंह सहित दर्जनों लोगों ने समर्थन करते हुए कहा कि औरंगाबाद के अदरी नदी प्रदूषण मुक्त नहीं होगा ,तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने संयुक्त रूप से कहा कि इसके लिए स्थानीय प्रशासन, स्थानीय प्रतिनिधि पूरी तरह से दोषी है. उन्होंने कहा कि औरंगाबाद के कई स्थान की वाटर लेवल प्रदूषित हो चुका है. इसके बावजूद भी नगर परिषद एवं पीएचइडी विभाग शिथिलता बरतते रही. जिसका परिणाम है कि कई स्थानों के लोग शुद्ध पेयजल के अभाव में बीमार से ग्रसित हो चुके हैं. उपस्थित वक्ताओं ने आगे कहा कि प्रदूषण जल होने से पर्यावरण पर इसका पूरा प्रभाव पड़ता है. जिसका खामियाजा औरंगाबाद वासी भी भुगतने को मजबूर है. उपस्थित वक्ताओं ने आगे कहा कि जिस प्रकार से नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है ,जिससे जीव जंतुओं से लेकर मनुष्य पर भी इसका प्रभाव विपरीत पड़ रहा है. स्पष्ट है कि मानवाधिकार का हनन भी की जा रही है. सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने भी अपनी विचार प्रकट करते हुए जल प्रदूषण पर प्रकाश डाला. एवं विधि सम्मत कार्रवाई करने तथा नियमों की जानकारी पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला. इस दौरान काफी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ नागरिक ,बुद्धिजीवी मौजूद रहे.