डालमियानगर रेल कारखाना काराकाट लोस सीट का प्रमुख चुनावी मुद्दा, एक बार फिर लोगों की उम्मीदों को लगे पंख

दिवाकर तिवारी ।

कारखाने की शुरुआत के लिए उपेंद्र कुशवाहा द्वारा पूर्व में किए गए प्रयास का इस बार के चुनाव में मिल सकता है लाभ।

सासाराम। एक दौर था जब रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन स्थित डालमियानगर उद्योग समूह बिहार ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में अपने विभिन्न उत्पादों के लिए प्रख्यात था। लगभग 300 एकड़ में फैले डालमियानगर औद्योगिक परिसर में कागज, डालडा, सीमेंट, एस्बेस्टस, साबुन, तेल, चीनी, वनस्पति तेल सहित कुल 40 प्रकार के उत्पादों का निर्माण होता था तथा दस हजार से अधिक कर्मचारी इसमें काम करते थे। डालमियानगर औद्योगिक परिसर में कई अलग-अलग फैक्ट्रियां स्थापित की गई थी तथा आज भी कंपनी का सुअरा में एक निजी हवाई अड्डा भी है। देश की आजादी से पूर्व वर्ष 1933 में प्रसिद्ध उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया द्वारा डालमियानगर उद्योग समूह की स्थापना की गई थी तथा यहां वर्ष 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं वर्ष 1939 में देश रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद ने क्रमशः सीमेंट एवं कागज कारखाने का उद्घाटन किया था। लेकिन राजनीति के शिकार एवं कंपनी के दिवालिया होने के कारण वर्ष 1984 में यह उद्योग पूरी तरह बंद हो गया। तब से लेकर आज तक हर चुनावी मौसम में रोहतास इंडस्ट्री इस क्षेत्र का प्रमुख चुनावी मुद्दा बनता रहा है। हालांकि कंपनी के लिक्विडेशन में जाने के बाद वर्ष 2007 में रेलवे ने इस उद्योग को खरीद लिया और रेल वैगन एवं काप्लर निर्माण कारखाने के प्रारंभ होने की प्रक्रिया शुरू की गई। लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक क्षेत्र की जनता रेल कारखाने के प्रारंभ होने का इंतजार कर रही है। हर चुनावी मौसम में डालमिया नगर रेल कारखाना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनता है लेकिन उपेंद्र कुशवाहा को छोड़ किसी सांसद व जनप्रतिनिधि द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए गए। वर्ष 2014 में काराकाट लोक सभा क्षेत्र से जीतकर आए तत्कालीन सांसद उपेंद्र कुशवाहा के अथक प्रयास से रेल मंत्रालय ने कारखाना लगाने की जिम्मेदारी राइट्स को सौंपी और बजटीय प्रावधान भी किया गया। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी से अलग होने के साथ हीं यह एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया।


अब एक बार फिर 2024 लोकसभा चुनाव में डालमियानगर रेल वैगन एवं काप्लर निर्माण कारखाना प्रमुख चुनावी मुद्दा बना हुआ है और पूर्व में कारखाने के प्रारंभ होने की दिशा में उपेंद्र कुशवाहा द्वारा किए गए प्रयास इस बार के चुनाव में एनडीए को जीत भी दिला सकते हैं।रेल कारखाने के मुद्दे पर जब स्थानीय मतदाताओं से बात की गई तो एक समाजसेवी यश उपाध्याय ने बताया कि जब रोहतास उद्योग समूह की स्थापना हुई थी तो उस समय पूरे परिसर में अस्पताल, स्कूल, खेल मैदान, पुस्तकालय, क्लब, पार्क, उद्यान आदि हुआ करते थे और डॉ राजेंद्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आदि कई राष्ट्रवादी नेताओं ने इसकी स्थापना में अहम योगदान दिया। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर डालमियानगर फैक्ट्री को चालू कर हमारे राष्ट्रवादी नेताओं को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
वहीं डालमियानगर निवासी छोटू सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा हीं एकमात्र ऐसे नेता हैं जो रेल कारखाने को चालू करा सकते हैं। इस दिशा में पहले भी उनके द्वारा प्रयास किए गए थे लेकिन कुछ राजनीतिक कारणों से यह सपना पूरा नहीं हो सका। जिसके कारण उपेंद्र कुशवाहा के आने से एक बार फिर क्षेत्र की जनता को इनसे उम्मीदें जग गई है।
स्थानीय निवासी राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि वर्ष 1984 में जब डालमियानगर फैक्ट्री बंद हुई तब से लेकर आज तक हर चुनावी मौसम में यह प्रमुख चुनावी मुद्दा बनता रहा है। हालांकि 2014 में जब उपेंद्र कुशवाहा चुनाव जीत कर गए और केंद्रीय मंत्री बनाए गए तो उनके प्रयास से रेलवे की एक बैठक कराकर रेल कारखाने को चालू करने की जिम्मेदारी राइट्स को सौंपी गई थी। इसलिए लोगों को उपेंद्र कुशवाहा से एक बार फिर उम्मीदें लगी हुई है ताकि इस क्षेत्र में एक बार फिर खुशहाली आए और हजारों लोगों को रोजगार मिल सके।
साथ हीं रोहतास इंडस्ट्रीज के बारे में स्थानीय समाजसेवी सह जिले के वरीय पत्रकार उपेंद्र मिश्र बताते हैं कि डालमियानगर देश के स्वतंत्रता सेनानियों का मुख्य केंद्र रहा है। यहां मोहम्मद जिन्ना से लेकर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, सुभाष चंद्र बोस, बसावन बाबू, केदार पांडे, बिंदेश्वरी बाबू सहित कई दिग्गज राष्ट्रवादी नेताओं का आना-जाना लगा रहता था और प्रखर राष्ट्रवादी नेता जिन्होंने पाकिस्तान बनने का भी विरोध किया, डॉ अब्दुल कयूम अंसारी जीवनपर्यंत यहां से विधायक रहे। उपेंद्र मिश्र ने बताया कि 2008 में जब रेलवे ने डालमियानगर उद्योग को खरीदा तो रेल कारखाने को लेकर पहली ठोस पहल वर्ष 2014 में हीं शुरू हुई। उपेंद्र कुशवाहा यहां से सांसद चुनकर गए तो उनके प्रयास से रेलवे की एक बैठक में डालमिया नगर फैक्ट्री के पुराने कबाड़ को हटाने एवं डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी राइट्स को सौंपी गई और वर्ष 2020 में रेलवे कारखाने को लेकर बजटीय प्रावधान भी किया गया। लेकिन किन्हीं कारणों से यह कारखाना शुरू नहीं हो पाया। एक बार फिर लोगों को उम्मीद है कि इस बार रेल कारखाना जरूर खुलेगा।