औरंगाबाद जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराया
विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद( बिहार)- औरंगाबाद जिला में जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है वैसे-वैसे जमीन से जल स्तर भी काफी दूर होते जा रहा है. जिसका परिणाम है कि औरंगाबाद जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराने लगा है. औरंगाबाद जिला मुख्यालय के अहरी, चित्रगुप्त नगर, सत्येंद्रनगर , बराटपुर, महाराजगंज रोड, ब्लॉक कॉलोनी सहित दर्जनों स्थानों पर पेयजल संकट से लोग जूझ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों के मदनपुर, देव, कुटुंबा ,रफीगंज, बारुण, हसपुरा सहित दर्जनों स्थान का जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिसके लेकर लोग काफी परेशान हैं. ग्रामीणों की बात सच मानी जाए तो लोगों का कहना है कि लगातार तापमान बढ़ने के कारण जमीन से जल स्तर काफी नीचे चला गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए चापाकल पूरी तरह से सूख चुका है. तो कई स्थानों की चापाकल रखरखाव एवं देखरेख के अभाव में पूरी तरह से खराब हो चुका है. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि तालाब एवं आहार पोखर का पानी बढ़ते तापमान के कारण सूख चुके हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या जीव जंतुओं से लेकर मवेशी लोगों के लिए है.
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जंगली इलाके के पशु पक्षी पेयजल संकट को देखते हुए घने इलाकों में भी विचरण करते पहुंच रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा चलाई गई नल जल योजना पूरी तरह से फेल हो चुका है. तो कई स्थानों पर पाइपलाइन टूटकर बिखर चुका है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से पेयजल संकट की समस्या से निजात दिलाने को लेकर गुहार लगाया है. अब देखना है कि जिला प्रशासन पेयजल संकट को देखते हुए अगला कदम क्या उठा पाती है यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन जिस प्रकार से औरंगाबाद एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराया है जो सबको सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. विश्वनाथ आनंद पत्रकार पाठकों से अपील करता है कि अपने-अपने घरों में पेड़ -पौधे अवश्य लगाऐ एवं पानी का बचत जरूर करें. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि इस वर्ष जितनी मात्रा में वर्षा होना चाहिए था नहीं हो सका.बढ़ती प्रदूषण का परिणाम भी इसका मुख्य कारण है. वहीं दूसरी तरफ पेड़ पौधों की कटाई तेजी से किया जा रहा है. हम सभी लोगों को पेयजल संकट से निजात दिलाने को लेकर चिंतन करने की जरूरत है.