जिले के विभिन्न प्रखंडों में एमएमडीपी क्लीनिक खोलने की कवायद शुरू
दिवाकर तिवारी ।
हाथीपांव से पीड़ित लोगों का बनेगा दिव्यांगता प्रमाण पत्र.
सासाराम। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार लगातार अभियान चला रही है और इसके उन्मूलन के प्रत्येक वर्ष सर्वजन दवा सेवन अभियान भी चलाया जाता है ताकि फलेरिया के प्रसार को रोका जा सके। परंतु जो पहले से ही फ़ाइलेरिया से पीड़ित है उनके लिए भी विशेष अभियान एवं कार्यक्रम चलाकर सरकार राहत देने का प्रयास कर रही है। इसी के तहत रोहतास जिले के विभिन्न प्रखंडों में फाइलेरिया की पहचान के लिए एमएमडीपी क्लीनिक खोलने की कवायद शुरू कर दी गई है। फाइलेरिया जांच के लिए लोगों को विभिन्न प्रखंडों से सदर अस्पताल आना पड़ता था परंतु जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एमएफडीपी क्लीनिक खुलने से लोगों को राहत मिलेगी। ज्ञात हो कि फाइलेरिया एक अति गंभीर बीमारी है जिसमे लोगों का पांव हाथी के पांव के समान हो जाता है। पैर के अलावा फ़ाइलेरिया शरीर के विभिन्न अंगो को प्रभावित कर सकता है और यह बीमारी क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। इस बीमारी की पहचान या लक्षण 12 से 15 साल के बाद दिखाई देता है। फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज मौजूद नहीं है। सिर्फ सावधानी और जागरूकता से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसी को लेकर सरकार द्वारा हर वर्ष सर्व जन दवा सेवन अभियान के माध्यम से फाइलेरिया जांच कर सभी को साल में एक बार दवा सेवन कराया जाता है। जिसे एमडीए अभियान के नाम से जाना जाता है।
वहीं फाइलेरिया पीड़ित मरीजों को राहत देने के लिए सरकार उन्हे दिव्यांगत प्रमाण पत्र प्रदान कर रही है। इसको लेकर रोहतास जिले में भी प्रकिया शुरू कर दी गई है। वर्तमान में रोहतास जिले में 2000 के आसपास हाथी पांव से पीड़ित मरीज मौजूद है। हाथीपांव से पीड़ित मरीजों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए प्रकिया शुरू कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक हाथीपांव पीड़ित लोगों की लाइन लिस्टिंग की जा रही है। लाइन लिस्टिंग के साथ साथ दिव्यांगता प्रमाण पत्र को लेकर ऑनलाइन प्रक्रिया जारी है। पहले डॉक्टरों की टीम दिव्यंगता प्रतिशत की जांच करेगी तथा जांच के अनुसार प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।