“एक्सप्लोरिंग (3 Rs) थ्री आरस् : एनवायरनमेंटल सेवियर्स” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार)- गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में विज्ञान संकाय द्वारा प्रधानाचार्य प्रो. जावैद अशरफ़ के संरक्षण एवं विज्ञान संकाय के सभी विभागों के फैकल्टीज के संयुक्त समन्वयन में “एक्सप्लोरिंग (3 Rs) थ्री आरस् : एनवायरनमेंटल सेवियर्स” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. अफ्शाँ सुरैया, भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ शिल्पी बनर्जी, जीवविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. फरहीन वज़ीरी, वनस्पति शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ रुखसाना परवीन, रसायनशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर बनीता कुमारी, एनसीसी की केयर टेकर अॉफिसर डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, एनएसएस पदाधिकारी डॉ प्रियंका कुमारी, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अनामिका कुमारी, अर्थशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नगमा शादाब एवं दर्शनशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमृता कुमारी घोष ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन करके किया। तत्पश्चात्, विज्ञान संकाय के सभी प्रोफेसरों ने पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के उपायों पर प्रकाश डालते हुए छात्राओं को तीन R के नियम “रिड्यूस” (कम उपयोग), “रिसाइकल”(पुन:चक्रण) तथा “रियूज”(पुन: उपयोग) के सिद्धांतों से अवगत कराया। उन्हें अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के बारे में सविस्तार उदाहरण देकर समझाया गया। प्रो. अफ्शाँ सुरैया ने छात्राओं को विभिन्न तरह के कचरों के बारे में जानकारी दी। रुखसाना परवीन ने अपशिष्ट पदार्थों की विभिन्न अवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कम्पोस्ट के बारे में बतलाया। डॉ शिल्पी बनर्जी ने कहा कि तीन R के नियम का अनुकरण करके पर्यावरण में बढ़ रहे अपशिष्ट पदार्थों के जमाव को कम किया जा सकता है। छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य प्रो जावैद अशरफ़ ने कहा कि पर्यावरण को अपशिष्ट पदार्थों एवं कचरों से मुक्त बनाने हेतु हम सब को निरंतर प्रयत्न करते रहना चाहिए। साथ ही, उन्होंने छात्राओं को स्वेच्छा से रक्तदान के लिए भी प्रेरित किया। मीडिया प्रभारी डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि इस कार्यशाला में विज्ञान संकाय की डेढ़ सौ से अधिक छात्राओं ने भाग लिया। सभी पंजीकृत प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में तीन R के नियम की उपयोगिता से छात्राओं को परिचित करवाना था। छात्राएँ अपशिष्ट पदार्थों के पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) हेतु ‘रिड्यूस, रियूज तथा रिसाइकिल’ के सूत्र को सीख कर काफी उत्साहित नज़र आयीं। उन्हें पर्यावरणीय स्वच्छता के वैज्ञानिक पहलुओं के प्रति जागरूक किया गया तथा मानव द्वारा उत्पन्न कचरे के विभिन्न प्रकारों की जानकारी दी गयी। कार्यक्रम का संचालन बनीता कुमारी ने किया।कार्यशाला में जूलॉजी मेजर की छात्रा रिचा कुमारी एवं स्वस्तिक, फिजिक्स मेजर की छात्रा स्वीटी एवं हर्षिता, केमिस्ट्री मेजर की छात्रा श्रव्या तथा मैथ्स मेजर की छात्रा मुस्कान ने भी प्रदूषण मुक्त धरती बनाने एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु तीन R के नियम को अपने जीवन में उतारने की बात कही। छात्रा रिचा और रिन्नी द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर बनाये गये पोस्टर की सभी ने प्रशंसा की। कार्यक्रम में प्रो. किश्वर जहाँ बेगम, बर्सर डॉ सहदेव बाउरी, डॉ शगुफ्ता अंसारी, डॉ पूजा, डॉ कृति सिंह आनंद, प्रीति शेखर, डॉ सुरबाला कृष्णा एवं रूही खातून की भी उपस्थिति रही। ज्ञात हो कि तकनीकी दौर में उत्पन्न ई- कचरे का पुनः उपयोग संभव नहीं है और इन्हें नष्ट भी नहीं किया जा सकता है। प्राकृतिक तौर पर नष्ट हो जानेवाले पदार्थों को कम्पोस्ट में बदला जा सकता है, किंतु बहुत आवश्यक है कि अपशिष्ट पदार्थों के उत्पादन को ही नियंत्रण में रखा जाये। इसके लिए अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की ज़रूरत है।