जिले के पूरनहिया प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्र के लिए जिला अधिकारी को ध्यान आकर्षित कराया– संजय संघर्ष
गजेंद्र कुमार सिंह ।
शिवहर—- जिले में पूर्णिया प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूरनहिया का निर्माण के लिए स्वास्थ्य विभाग को जैसा कि स्वास्थ्य विभाग की निर्माण ईकाई BMSCIL के पत्र में स्पष्ट है। 60 X 40 मीटर बाधा मुक्त भूखंड चाहिए । और भूखंड जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित न किए जाने के कारण वर्षों से निर्माण लंबित है।आइए जानते हैं स्वास्थ्य विभाग के पास पूरनहिया प्रखंड में क्या क्या विकल्प है। अदौरी में उपलब्ध 85 डिसमिल भूमि जोकि वर्ष 1968 से स्वास्थ्य विभाग को प्राप्त है। जहां जर्जर भवन में गेहुमन सांप उद्योग फलफूल रहा है। पूरनहिया प्रखंड कार्यालय के समीप 65 डिसमिल जो की वर्ष 2009 से विभाग को प्राप्त है जहा गेहूं उपज रहे है।सोनौल सुलतान प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की वह 65 डिसमिल भूमि जिसमे एक भूभाग पर पानी टंकी निर्मित है तथा शेष में 2010 में निर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन, जिसमे स्वास्थ्य सेवा संचालित है।
अब आते हैं मुख्य मामले पर मुझे ज्ञात हुआ कि सोनल सुल्तान स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन जो कि 2010 में बना है उसे तोड़ने का प्रयास है हालांकि तोड़ने के बाद पानी टंकी भी तोड़ना पड़ेगा जो कि पीएचडी का है उसके बाद भी शायद जमीन पूरा नहीं है क्योंकि उसी जमीन में सड़क भी है।
मुझे लगा कि यह तो गैर कानूनी है एक नई भवन को कैसे तोड़ा जा सकता है तो मैं हाईकोर्ट गया था।
तोड़े जाने का मामला रुका भी था।
लेकिन हाईकोर्ट में मैं यह साबित करने में सक्षम नहीं रहा था कि सही में भवन टूट रहा है क्योंकि अभी टूटा तो था नहीं। विभाग ने तोड़ने की प्रक्रिया रोक दिया था। तो ऐसे में हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि इस केस का कोई औचित्य नहीं बनता है यह फैसला अधिकारी और सरकार के स्तर पर होना चाहिए।
हां एक बार टूट जाए जिस अधिकारी के आदेश से टूटे फिर उसके बाद उसके विरोध मेरे पास हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट दोनों विकल्प खुला हुआ है।
संभव है कि जिस अधिकारी के आदेश पर एक नवनिर्मित भवन टूटेगा उसका रिटायरमेंट और पेंशन ना मिले।लेकिन टूटने से राजस्व की हानि तो होगी बेशक बाद में अधिकारी का हुक्का पानी बंद हो जाए।
तुम मूल समस्या अब यह है कि निर्माण के दो और विकल्प हैं एक है 85 डिसमिल वाला विकल्प जिसमें 1985 के दौरान निर्मित जर्जर भवन खड़ा है। दूसरा है 65 डिसमिल वाला विकल्प जो प्रखंड मुख्यालय के बाजू में हैं और धान गेहूं उपज रहा है।
और तीसरा विकल्प है यह जो तोड़कर बनाया जा सकता है सोनौल सुल्तान में जहा स्वास्थ्य स्वास्थ्य विभाग के भवन के साथ-साथ टावर आकार में निर्मित पीएचडी का पानी टंकी भी तोड़ना पड़ेगा तब भी शायद जमीन पर्याप्त नहीं क्योंकि सड़क भी उसी में शामिल है और लंबी है।
अब देखना यह है कि बलि का बकरा नवनिर्मित स्वास्थ्य विभाग की भवन बनेगा या फिर इस आदेश को पारित करने वाले अधिकारी।क्योंकि मामला पुनः कोर्ट जाना ही है। अधिकारी अपनी क्षमताओं का प्रयोग करके गलत निर्णय लेने को भी स्वतंत्र हैं।जैसे की हम जैसे आम जन पुनः सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट तक के लिए स्वतंत्र हैं।हालाकि मुझे उम्मीद है वर्तमान जिला अधिकारी ऐसा कुछ होने नहीं देंगे।