कभी राजनीति के दिग्गज धुरंधर मांझी और कुशवाहा का क्या होगा सियासी भविष्य !
संजय वर्मा ।
ठीक कहा गया है महत्वाकांक्षा किसी को अर्स से फर्श पर ला पटकता है यहां दलबदल के कीर्तिमान बनानेवाले दो महानुभावों का जिक्र करना चाहता हूं जीतनराम मांझी विभिन्न दलों के सरकारों में मंत्री रह चुके मांझी को सीएम की कुर्सी पर नीतीश कुमार ने बिठाया पर इनकी महत्वाकांक्षा इतनी हिलोरें मारने लगी कि पूरे संसार मे परिवार को स्थापित करने के अलावा कुछ नहीं सूझा बेटा सन्तोष सुमन मंत्री था इससे सन्तुष्ट नहीं थे सो मोदी शरणम गच्छामि कर गए इनकी इच्छा थी कि पूरे खानदान को पोलटिकल व्यवस्था हो जाय। दूसरे महाशय उपेन्दर कुशवाहा जो कभी अपना नाम उपेन्द्र प्रसाद रखा करते थे उन्हें नैतिक साहस देकर कुशवाहा टाइटल रखवा दिया>
वो थे नीतीश कुमार जन्दाहा से पहली बार विधायक बने विपक्ष का नेता बनाया नीतीश कुमार फिर राज्यसभा या विधानपार्षद बनाया नीतीश कुमार जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया पर उनका तो सपना था सीएम की कुर्सी पाने का इसी फेर में एकबार मोदी शरणम गच्छामि कर गए फिर लौटकर नीतीश के घर आये फिर सीएम बनने का भूत सवार हुआ और फिर उसी मोदी शरणम गच्छामि कर गए जिन्हें पानी पी पी कर कोसकर केंद्रीय मंत्री मंडल को छोड़ दिया फिर वेतलबा डाल पर मांझी और कुशवाहा दोनों लोकसभा की ज्यादा सीट प्राप्त करने के लिये चरण वंदना कर रहे है और मोई है कि दोनों को दो दो सीट देकर सलटाने में जुटी है हालत यह कि अब जायँ तो जायँ कहाँ सांप छुछुन्दर की स्थिति है अति महत्वाकांक्षी होने का नतीजा है कि बिहार की राजनीति के कभी दिग्गज धुरंधर कहे जाने वाले मांझी और कुशवाहा कहाँ खड़े है यह सबको पता है।