प्रखंडों में धरना–प्रदर्शन को लेकर महागठबंधन दलों की बैठक समपन्न

धीरज ।
भाजपा शासन के 9 साल की तबाही-बर्बादी के खिलाफ 15 जून को होगा जोरदार प्रदर्शन
संविधान के बदले मनमाने तरीके से देश चला रही मोदी सरकार- महागठबंधन
किसानों की आय दुगुना करने का वादा झूठा, नौकरी मांग रहे नौजवानों को जेल भेज रही सरकार
संविधान, लोकतंत्र और आरक्षण के लिए 2024 में भाजपा की विदाई जरूरी

गया ।भाजपा सरकार की 9 साल की तबाही-बर्बादी के खिलाफ महागठबंधन के आह्वान पर राज्य में प्रखंड मुख्यालयों पर 15 जून के धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम की तैयारी को लेकर नगमतीया स्थित जिला जदयू कार्यालय में आज महागठबंधन दलों की बैठक आयोजित हुई।इस बैठक में जदयू,राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले, सीपीआई, माकपा व हम पार्टी के नेता शामील रहे। इस बैठक में 15 जून के कार्यक्रम की तैयारी व अबतक की प्रगति की समीक्षा की गई है।नेताओं ने कहा की 15 जून का धरना-प्रदर्शन ऐतिहासिक होने वाला है। गांव-गांव में इसको लेकर जन अभियान चल रहा है व लोगों को सच्चाई से वाकिफ कराया जा रहा है।इस बैठक में महागठबंधन दलों के नेताओं ने कहा की मोदी शासन के 9 साल जनता की चरम तबाही-बर्बादी, लूट-दमन और नफरत का भयावह दौर साबित हुआ है। महंगाई की मार से जनता त्रस्त है। रसोई गैस की कीमत 1300 रु प्रति सिलेण्डर पार कर गई है और लोग एक बार फिर से गोइठा व लकड़ी युग में लौटने को विवश है। प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार का वादा भी पूरी तरह झूठ साबित हुआ। केंद्र सरकार के कार्यालयों में लाखों पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उनपर कोई बहाली नहीं कर रही है। विगत 75 वर्षों में बेरोजगारी की ऐसी भयावह स्थिति कभी सामने नहीं आई है।
केंद्र सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण विकास और कल्याणकारी योजनाओं के मद में लगातार कटौती कर रही है। मोदी सरकार ने 2022 तक सभी गरीबों के लिए आवास उपलब्ध कराने का भी वादा किया था। लेकिन उसने वादा तो पूरा नहीं ही किया उलटे उसके पूरा हो जाने का झूठा दावा कर रही है। जनवितरण प्रणाली और खाद्यान्न योजना को भी खत्म करने की साजिशें कर रही है। वैश्विक भूख सूचकांक की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 121 देशों की सूची में भारत 107 वें स्थान पर पहुंच गया है। देश में चौतरफा भूखमरी का विस्तार हो रहा है।भाजपा शासन में कॉरपोरेट लूट व उनको हासिल सरकारी संरक्षण अपने चरम पर है। कॉरपोरेटों ने देश की 60 प्रतिशत संपत्ति पर कब्जा जमा रखा है लेकिन जीएसटी में उनका योगदान महज 3 प्रतिशत है। वहीं, दूसरी ओर देश की 50 प्रतिशत जनता जिनके पास महज 3 फीसदी संपत्ति है, जीएसटी में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है।भाजपा द्वारा दलितों-पिछड़ों के आरक्षण में कटौती की भी साजिशे अनवरत जारी है। सरकारी योजनाओं में सभी समुदाय के लिए न्यायसंगत व समावेशी विकास के लिए महागठबंधन ने केंद्र सरकार से जाति आधारित सर्वे की मांग की थी, जिसे उसने नकार दिया है।
किसानों की आय दुगुनी करने का वादा था, लेकिन मोदी सरकार किसानों को उनकी जमीन से बेदखल कर कॉरपोरेटों के हाथों में जमीन सौंप देने का कानून लेकर आई। उन कानूनों को वापस कराने के लिए किसानों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी और उसे एमएसपी पर कानून बनाने का वादा करना पड़ा है। लेकिन अपने चरित्र के मुताबिक वह एक बार फिर अपने वादे से मुकर गई है।
संघ-भाजपा के फासीवादी उन्माद भी आज अपने चरम पर है। 28 मई को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जिस प्रकार से एक राजा के राज्याभिषेक की तरह नरेन्द्र मोदी ने संसद के नए भवन का उद्घाटन किया, वह पिछले 9 सालों में मोदी शासन के वास्तविक चरित्र और उसके भविष्य को सबसे ज्यादा स्पष्टता के साथ प्रकट करता है। संसद के नए भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू को बुलाया तक नहीं गया है। दलितों के प्रति घडियाली आंसू बहाने वाली भाजपा का दलित विरोधी चेहरा उस समय भी खुलकर सामने आया था उसी प्रकार जगजीवन राम छात्रावास अनुदान योजना को बदलकर प्रधानमंत्री योजना कर देना दलित समुदाय के एक बड़े नेता के प्रति उसकी घृणा को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।
भाकपा माले जिला सचिव निरंजन कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में जदयू जिला अध्यक्ष अभय कुशवाहा, कांग्रेस जिला अध्यक्ष गगन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय कुमार मीठू, वरिष्ठ जदयू नेता कुंडल वर्मा, भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य रीता वर्णवाल, हम के प्रवक्ता दिवाकर सिंह, शंकर मांझी, सीपीआई नेता मो. यहीया, राम जगन गीरी, माकपा नेता अरविंद कुमार सिन्हा, कारू पासवान, मो. शमीम व कपील देव प्रसाद,राजद से बीरेंद्र गोप, सुभाष यादव,विनय कुशवाहा, जदयू प्रवक्ता अवध बिहारी पटेल, डा0 आसिफ जफर, शामील रहे हैं।

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