बल, धन, विद्या एवं पद का उपयोग विवेक से करें- जीयर स्वामी

चंद्रमोहन चौधरी ।

बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र के वरना में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को प्रवचन के दौरान जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को बल, धन, विद्या एवं पद का उपयोग विवेक से करना चाहिए। विवेक से उपयोग नहीं करने वाले व्यक्ति का नस सुनिश्चित होता है। इसके लिए उन्होंने रामायण के पत्र लंकेश का वर्णन किया। सर्वगुण संपन्न होने के पश्चात भी दुर्गुण के कारण लंकेश को सब कुछ खोना पड़ा। उसके वैभव और पराक्रम धराशाई हो गया।

लक्ष्मी एवं पुरुष के संदर्भ में चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि लक्ष्मी का दूसरा नाम चंचल है। धन संपत्ति प्राप्त होने पर सदुपयोग नहीं होने की स्थिति में समाप्त होते देर नहीं लगती। वही बिगड़ी हुई बुद्धि के पांच दुर्गुण बताते हुए कहा कि शराब, वेश्यावृत्ति, जुआ, अनीति एवं दुराचार मनुष्य के शत्रु हैं। इससे बचना चाहिए। बचने के लिए धर्म के आठ खम्भो का सहारा लेना चाहिए। धर्म के आठ खम्भो में यज्ञ, अध्ययन, दान, तप, क्षमा, धृति एवं संतोष का स्वामी जी ने जिक्र किया। मानव को अपने जीवन में इन्हें उतरकर आनंदपूर्वक जीवन जीने की कला विकसित करने का निवेदन करते हुए कथा को विश्राम दिया।