पूर्व विधान पार्षद डॉ सुनील सिंह को सरकार के इशारे पर परेशान किया जा रहा है: एजाज अहमद

पटना . बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने आरोप लगाया कि बिहार सरकार के इशारे पर पूर्व विधान पार्षद सह बिस्कोमान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार सिंह को लगातार परेशान किया जा रहा है और उनके साथ दौहरा पैमाना अपनाया जा रहा है । जहां सतारूढ़ दल के लोगों को नियमों का उल्लंघन करके आवास उपलब्ध कराए जा रहे हैं वहीं विपक्ष के पूर्व विधान पार्षद डॉ सुनील सिंह के आवास को जबरन बिहार सरकार के द्वारा खाली कराया जा रहा है । यह किस तरह से सरकार का न्याय है।इन्होंने आगे कहा कि डॉ सुनील सिंह के विधान परिषद सदस्यता के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद सदस्यता के मामले पर फैसला को सुरक्षित रख हुआ है। वही उनके आवास को माननीय पटना उच्च न्यायालय के द्वारा खाली कराने पर रोक लगा रखा गया था, लेकिन जब समय सीमा समाप्त हो रहा था, उससे पहले ही इस मामले पर सुनवाई से पहले ही अहले सुबह सवेरे सरकार ने पुलिस के बल पर जबरिया उनके सामानों को क्वार्टर से बाहर फिंकवा दिया और आवास को उनकी अनुपस्थिति में खाली करने की प्रक्रिया शुरू की गई।

राज सरकार का यह रवैया बदले की भावना के तहत किया जा रहा है यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है । आखिर सरकार डॉक्टर सुनील सिंह से इतना डर क्यों रही है जबकि इससे पूर्व बिस्कोमान निदेशक के चुनाव में लगातार परेशान किया गया ,लेकिन दोबारा गिनती के बाद भी जब डॉ सुनील सिंह के पैनल को बहुमत मिल गया तब भी केंद्र और राज्य सरकार ने अध्यक्ष के चुनाव की तिथि घोषित नहीं की । इस तरह से सरकार जब वोट से जीत नहीं पाई तो अब नए-नए तरीके अपना कर अध्यक्ष का चुनाव नहीं करा रही है, जबकि निदेशक के चुनाव का परिणाम 24 जनवरी को ही घोषित हो चुका है।एजाज ने आगे कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा विधान परिषद के परिणाम को रोके जाने और फैसले को सुरक्षित रखे जाने के बाद सरकार पूरी तरह से बेचैनी और घबराहट में है और दूसरी ओर बिस्कोमान के निदेशक मंडल में डा सुनील सिंह के पैनल को बहुमत मिलने के बाद सरकार को लग रहा है कि उनके अनुसार अध्यक्ष नहीं होगा और उनकी भद पिट सकती है तो अब सरकार के स्तर से उनकी अनुपस्थिति में क्वार्टर के सामानों को फेंकवा दिया गया और उन्हें जबरिया आवास से सामान निकालने का कार्य किया जा रहा है यह सरासर अन्याय और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। जबकि बिहार सरकार की कृपा प्राप्त सतारूढ़ दल के बहुत सारे नेता सरकारी क्वार्टर में रह रहे हैं और उन पर सरकार की कोई टेढ़ी निगाह नहीं होती है और ना ही भवन निर्माण विभाग का इस पर कोई निगाह है। इस तरह के मामलों से यह स्पष्ट होता है कि बिहार में सरकार के स्तर से सतारूढ़ दल के लिए नजरे इनायत और विपक्ष के लिए दूसरा कानून है और के सामानों को जबरिया बाहर कर दिया जाता है