कॉकलियर इंप्लांट के बाद माता पिता की आवाज पर प्रतिक्रिया दे रहे बच्चे

गया, 24 दिसंबर: श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से सुनने में असक्षम बच्चों का किया गया इलाज
श्रवण श्रुति के तहत 50 मूक बधिर बच्चों का किया गया है कॉकलियर इंप्लांट
जिला में शून्य से पांच साल आयू वर्ग के मूक बधिर बच्चों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तत्परता से काम कर रहा है। श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से ऐसे कई बच्चों का इलाज हुआ है जो सुनने में असक्षम थे। वहीं कई बच्चों को कॉकलियर इंप्लांट के लिए चिन्हित भी किया गया है। इलाज कराये बच्चे आज अपने माता—पिता की आवाज पर प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से सुनने में असक्षम बच्चों के कानों की जांच कर कॉकलियर इंप्लांट कराया गया है। डीपीएम स्वास्थ्य नीलेश कुमार ने बताया कि जिला पदाधिकारी डॉ एसएम त्यागराजन के निर्देशानुसार श्रवण श्रुति कैंप लगा कर सुनने में असक्षम बच्चों के कानों की जांच की जाती है। आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी के माध्यम से कॉकलियर इंप्लांट किया जाता है। 50 से अधिक बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट किया गया है। श्रवण श्रुति कार्यक्रम का अनुश्रवण जिलाधिकारी द्वारा स्वयं किया जा रहा है। बताया कि कॉकलियर इंप्लांट पर होने वाला खर्च बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाता है। एक बच्चे के कॉकलियर इंप्लांट पर छह लाख का खर्च होता है जिसे बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
बच्चों का हुआ कॉकलियर इंप्लांट:
मूक बधिर दिव्यांग अराध्या कुमारी के पिता अजीत कुमार विश्वकर्मा को अब अपनी बेटी को लेकर सकारात्मक महसूस रह रहे हैं। उनकी बेटी सुनने में असक्षम होने के कारण वह पहले कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पा रही थी। इस बात का पता उनके क्षेत्र की रहने वाली आशा को मिली। इसकी जानकारी वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों को दी गयी। इसके बाद श्रवण श्रुति कैंप के माध्यम से अराध्या के कानों की जांच हुई। इसके बाद डॉक्टरों ने जिला के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर रेफर किया जहां पर उसके कानों की पुन: जां हुई। डॉक्टरों द्वारा एम्स में भी जांच के बाद यह निर्णय लिया गया है अराध्या का कॉकलियर इंप्लांट कराया है। वहीं गरीबन मांझी की बेटी सोनाली कुमारी भी बचपन से ही नहीं सुन पा रही थी। शुरुआत में सोनाली के परिजनों ने समझा कि बेटी देर से बोलेगी। लेकिन कई सालों के बाद भी किसी आवाज की प्रतिक्रिया नहीं देने पर माता—पिता ने कई डॉक्टरों के पास दौड़ लगायी। इसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसकी जानकारी वहां की आशा को मिली। आशा द्वारा इसकी जानकारी वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों को दी गयी। वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा श्रवण श्रुति कैंप में बच्ची के कानों की जांच करायी गयी। डॉक्टरों ने पाया कि वह भी सुनने में असक्षम है और उसे डीईआइसी भेजा गया। कई जांच के उपरांत डॉक्टरों ने कॉकलियर इंप्लांट का निर्णय लिया। अराध्या और सोनाली के परिजन बताते हैं कि बच्चियों के इलाज में राज्य सरकार द्वारा मदद की गयी है। कानुपर स्थित डॉ एसएन मेहरोत्रा मेमोरियल ईएनटी फाउंडेशन द्वारा कॉकलियर इंप्लांट किया गया है।