गीता मानवीय श्रम जीवन और कर्म की महिमा का अमर ग्रंथ है-डॉक्टर विवेकानंद मिश्र

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार)-गीता का संदेश का प्रभाव केवल दार्शनिक अथवा विद्वतचर्चा का विषय नहीं, अपितु अचार विचारों में भी वह मानवीय श्रम, जीवन और कर्म की महिमा का अमर ग्रंथ है। उक्त विचार विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विवेकानंद मिश्रा ने गीता जयंती दिवस पर प्रकट किया है। इस अवसर पर बिहार के सम्मानित साहित्यकार आचार्य राधा मोहन मिश्रा माधव ने कहा कि गीता संसार का अद्भुत 700 श्लोक में ही सारे शास्त्र का और उपनिषदों का सार निचोड़कर गागर में सागर भर दिया है। कर्म कर्म विवेक का अनुपम उदाहरण कहा है।
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शहर के प्रसिद्ध आंख रोग विशेषज्ञ डॉक्टर (कर्नल) अशोक कुमार झा ने कहा कि काश भारत की प्राचीन संस्कृति और ज्ञान परंपरा को लगातार पीछे नहीं धकेल दिया जाता तो, इस तरह आज बेलगाम सांप्रदायिकता तथा जातिवाद आदि अनेक विकृतियां समाज में न फैला होता। मगध विश्वविद्यालय के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉक्टर बी एन पांडे ने कहा कि गीता के बताए जो मार्ग हैं, शास्त्र और शस्त्र के समन्वय से ही स्वस्थ समाज राष्ट्र की रचना संभव है। संरक्षक आचार्य वल्लभ जी महाराज ने कहा संसार की संपूर्ण ज्ञान और विज्ञान का जो सार है गीता के ज्ञान में ही समाहित है।आचार्य अरुण मिश्रा मधुप आचार्य अभय पाठक आचार्य विनयकांत मिश्रा डॉ रविंद्र कुमार बृजेश राय प्रदेश राजद की नेत्री रूबी कविता राऊत संगीता कुमारी गुड़िया देवी कुमारी फूल कुमारी यादव अधिवक्ता दीपक पाठक राजीव नयन पांडे डॉक्टर राजीव नयन मिश्र डॉ रमेश उपाध्याय सिद्धनाथ मिश्र प्रोफेसर अशोक कुमार मनीष कुमार डिंपल कुमारी पुष्पा गुप्ता पूजा कुमारी प्रोफेसर रीना सिंह नीलम पासवान विश्वजीत चक्रवर्ती लवली मिश्रा अद्यतन भारत के संपादक रवि भूषण पाठक रंजीत पाठक कौशल्या देवी सत्येंद्र यादव जी पवन मिश्रा देवेंद्र पाठक देवेंद्र नाथ मिश्रा ज्योतिष शिक्षा एवं शोध संस्थान के निदेशक ज्ञानेश भारद्वाज डॉ (श्रीमत) चरिमा प्रिया ईशान झा फूल कुमारी यादव पार्वती देवी आदि प्रमुख थे। आभासीय सभा की अध्यक्षता किरण पाठक ने की