संस्कृत रामायण के रचयिता आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की मनाई गई जयंती- कांग्रेस
विश्वनाथ आनंद ।
गया( बिहार )-महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत के प्रथम महाकाव्य रामायण के नाम से प्रसिद्ध है विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर परिसर में संस्कृत रामायण के रचियता आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई गई।सर्वप्रथम महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर उपस्थित बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, जिला कॉंग्रेस उपाध्यक्ष राम प्रमोद सिंह, बाबूलाल प्रसाद सिंह, जिला कॉंग्रेस महासचिव संतोषी पंडा दामोदर गोस्वामी, नारायण मर्मज्ञ दीपू लाल भैया, वैदेही शरण दिवाकर उर्फ विद्या शर्मा, रामसेवक प्रसाद गुप्ता, प्रद्युम्न दुबे, शिव कुमार चौरसिया, विपिन बिहारी सिन्हा, पंडित गोपाल सेन, बलिराम शर्मा, विनोद उपाध्याय आदि ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म अश्विन मास के शुक्ल पक्ष तिथि के दिन हुआ था, जिन्होंने संस्कृत रामायण के 24000 श्लोकों में श्रीराम उपख्यान लिखी।नेताओं ने कहा कि रामायण एक महाकाव्य है, जो राम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य और कर्तव्य से परिचित करवाता है। आदिकवि शब्द आदि और कवि के मेल से बना है, आदि का अर्थ होता है प्रथम और कवि का अर्थ होता है काव्य का रचियता।महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत ने प्रथम महाकाव्य की रचना की थी, जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध है।