बेटी बचाओ बेटी ,पढ़ाओ योजना अंतर्गत देव परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्र महुआ दोहर में “कन्या जन्मोत्सव -सह सखीवार्ता” का किया गया आयोजन

विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद (बिहार)- “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” योजनान्तर्गत देव परियोजना के आंगनबाङी केंद्र महुआ दोहर में “कन्या जन्मोत्सव- सह- सखी वार्ता” का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ राजीव रंजन, जिला परियोजना प्रबंधक, महिला एवं बाल विकास निगम, श्वेता रानी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ,औरंगाबाद एवं मिथलेश कुमार, मिशन समन्वयक, डी, एच, इ ,डब्लू द्वारा संयुक्त रूप से किया गया . कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला परियोजना प्रबंधक ,महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा कहा गया कि बालिकाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ रही हैं ,इसलिए इन्हें पढने और आगे बढने का अवसर दें, बेटा- बेटी में अंतर नहीं कर दोनो को समान अवसर प्रदान करें. उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है साथ ही उनके सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए कानूनी प्रावधान किया गया है.इसके लिए जिला में “सखी वन स्टाॅप सेंटर” एवं “जिला हब फॉर इम्पावरमेंट ऑफ वीमेन” जैसे कार्यालय संचालित हैं।

जहां से महिलाऐं एवं बालिकाऐं सहयोग ले सकती हैं. उन्होंने “सखी वन स्टाॅप सेंटर” का मोबाइल नंबर-9771468003 एवं महिला हेल्पलाइन टाॅल फ्री नंबर-181 की जानकारी सबों को दी.कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, देव ने कहा कि बच्चियों का लालन-पालन सही तरीके से करते हुए पढाई अवश्य करायें, इन्हें आगे बढने का अवसर दें.कन्या उत्थान योजना एवं मातृ वंदना योजना का लाभ अवश्य लें.उन्होंने बाल विवाह की चर्चा करते हुए कहा कि बेटी की शादी 18 वर्ष के बाद और लङके की शादी 21 वर्ष के बाद करें. कार्यक्रम में महिला पर्यवेक्षिका रानी कुमारी ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एवं मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की जानकारी उपस्थित महिलाओं एवं बालिकाओं को देते हुए इसके लाभ को प्राप्त करने के तरीके से अवगत करायीं .कार्यक्रम के दौरान कन्या जन्मोत्सव समारोह में उपस्थित नवजात कन्या शिशु एवं माताऐं शीशम कुमारी,मालती कुमारी,गुङिया कुमारी,सीमा कुमारी,संगीता कुमारी,कुसुम देवी,जितनी देवी एवं ज्ञांती देवी को बधाई संदेश कार्ड एवं बेबी किट देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में महिला पर्यवेक्षिका रानी कुमारी,सेविका आरती कुमारी,प्रतिमा कुमारी, चंचला कुमारी एवं नवजात कन्या शिशु की माताऐं, ग्रामीण महिलाएं एवं बालिकाओं की उपस्थिति रही.

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