शुद्ध एवं शीतल हवा के साथ फल-फूल एवं धन का स्रोत है पेड़,एमएलसी प्रतिनिधि दीपक कुमार मुन्ना
संतोष कुमार ।
पर्यावरण के बिगड़े मिजाज और भीषण गर्मी ने आम से लेकर खास तक के जन-जीवन को काफी अस्त-व्यस्त कर दिया है।बीते कई सप्ताह से उमस भरी गर्मी और उच्चतम तापमान ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है।सूर्य की किरणों ने तो लोगों को बेहाल कर रखा ही है,रात्रि में भी लोगों के पक्के घरों की छतों में भी बहुत तपन होती है।ऐसे में कूलर एवं पंखों में भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है।कुछ लोग एयर कंडीशनर लगाकर भीषण गर्मी से बच पा रहे हैं,किन्तु बिजली चले जाने पर फिर प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ रहा है।वहीं लोग मौसम विभाग द्वारा अनुमानित 17 जून तक मानसून आने का इन्तेजार कर रहे हैं।लोगों को उम्मीद है कि मानूसन आने पर बारिश से तापमान में कमी आई।हालांकि लोग चाहे जितना मानवनिर्मित जुगाड़ लगा लें,किन्तु बाद में उन्हें प्राकृतिक संसाधनों को ही अपनाना पड़ेगा।तपती धरती और आसमान से बरसती आग के बीच पर्यावरण व पौधरोपण आजकल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया की सुर्खियां बन रही है।लोग वृक्षारोपण की आवश्यकता व उपयोगिता की खूब चर्चा कर रहे और कुछ लोग इसे जुबान के साथ जमीन पर भी उतार रहें हैं।जनता दल यू के प्रदेश सचिव व विधनपार्षद नीरज कुमार के प्रतिनिधि रजौली बभनटोली निवासी दीपक कुमार मुन्ना उन्हीं लोगों में शामिल हैं। जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण की चिंता को चिंतन के साथ ही कार्यन्वयन के रूप में उतारा है। वे अपने घर से खेत तक छोटे बड़े छः उद्यानों में उन्होंने लगभग 3000 पौधे लगाए।जिसमें कि 2000 पौधे विकसित होकर पेड़ का आकार प्राप्त करने की दिशा में हैं।उन्होंने सिर्फ पौधे लगाने की औपचारिकता पूरी नहीं की,बल्कि वृक्षारोपण के साथ ही सुरक्षा हेतु सीमेंट के खम्भे व लोहे के कटीले तारों से सुरक्षा के भी प्रबंध किया।साथ ही मोटर एवं पम्पसेट की मदद से समय-समय पर पटवन भी किया।दीपक कुमार मुन्ना बताते हैं कि पेड़ लगाने की प्रेरणा उनको उनके पिता उमेश प्रसाद सिंह से मिली और वो आज भी हर वर्ष कुछ न कुछ पौधा लगाते हैं।उन्होंने बगीचे में आम,नींबू,शीशम,सागवान, गंभार,नीम,महोगनी आदि के पौधे लगाए हैं।साथ ही लोगों से आग्रह किया कि हर व्यक्ति अधिक से अधिक पौधे लगाएं और अगर जगह की कमी हो तो छतों पर गमले में भी पौधे लगाएं।ताकि बढ़ते तापमान,अनावृष्टि व जलसंकट से आने वाली पीढ़ी को बचा सकें और साथ ही आर्थिक प्रयोजनों की सिद्धि भी कर सकें।