क्या वैश्य समाज महज 1 सीट पाने के बाबजूद अपना 25% वोट एनडीए को मुफ़्त में दे देगा

संजय वर्मा ।

25% आवादी वाला वैश्य समाज भाजपा का कोर वोटर या कहें बंधुआ मजदूर है लोकसभा चुनाव में जनसंख्या के अनुपात में मिनिमम 6 टिकट मिलना चाहिये था पर इस समाज के दो उम्मीदवार शिवहर से रमा देवी का टिकट काट बाहुबली आनंदमोहन की पत्नी लवली आनन्द और सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू का टिकट काट विधानपरिषद सभापति देवेशचंद्र ठाकुर को दिया गया यानी दो वैश्यों को टिकट से वेदखल कर दिया जबकि दोनों ही सीटें वैश्य वाहुल्य है भाजपा से एकमात्र टिकट बेतिया के सिटिंग सांसद डॉ संजय जायसवाल को दिया जाएगा इसके अलावा नील वटा सन्नाटा जदयू लोजपा रामविलास राष्ट्रीय लोक मौर्चा हम जैसी पार्टियां वैश्यों को टिकट देगी यह उम्मीद पालना बेकार ही है ।

जबकि 1-2 % आवादी वाले भूमिहार राजपूत कोयरी कुर्मी जातियों से 4-5 उम्मीदवार उतारा जाएगा ऐसी परिस्थिति में वैश्य समाज के तथाकथित नेता दर्जनों संगठन विरोध जताने के लिये आगे आने की बजाय नपुंसक या मउगा क्यों बने हैं यह सबसे बड़ा सवाल है ।समाज की राजनीतिक हकमारी के खिलाफ भाजपा के भारी नेता पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी या अन्य क्यों हिजड़ा बन सबकुछ धृतराष्ट्र बन देख रहे है क्या वैश्य समाज महज 1 सीट पाने के बाबजूद अपना 25% वोट भाजपा एनडीए को मुफ़्ते माल दे दे जरूरत है कि अपने हक हुक़ूक़ के लिये समय रहते अपनी आवाज बुलन्द करिये वरना इतिहास आपको कतई माफ नही करेगा हम इतने गए गुजरे नही की कोई अन्याय अत्याचार हकमारी डाकेजनी करे हम चुपचाप देखते रहे वैश्य समाज यदि अभी चूक गया तो कायरो में उसकी गिनती होगी ।

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