बोधगया शंकाराचार्य मठ में एक दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी का किया गया आयोजन- डॉ. श्रवण कुमार
विश्वनाथ आनंद .
गया( बिहार ):- संस्कृत भारती की गया इकाई के तत्वाधान में निरंजना नदी के तट पर बसे बोधगया के शंकाराचार्य मठ में संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया.संस्कृत भारती से जुड़े प्रदेश संगठन मंत्री डॉ० श्रवण कुमार की अध्यक्षता मेंसंगोष्ठी का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया. उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संगठन मंत्री ने कहा कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है, व यह देव भाषा है. कई देशों की राष्ट्रीय भाषा पर संस्कृत का प्रभाव अभी भी दिखता है.सभी भाषाओं के शब्दकोश संस्कृत से ही समृद्ध हुए हैं लेकिन यह दुर्भाग्य है कि संस्कृत आज पूर्ण रूपेण उपेक्षित है.जबकि भारत के सांस्कृतिक विकास में संस्कृत का योगदान सर्वोपरि है.राज्य और केंद्र सरकारें संस्कृत पठन-पाठन को लेकर उदासीन बनी हुई है.वहीं संघ के सेवा भारती तथा संस्कृत भारती से जुड़े स्वयं सेवक डॉ० रामानुज महाराज ने कहा कि संस्कृत काव्यों/महाकाव्यों में विभिन्न कालक्रमों के आलोक में उल्लिखित एवं संग्रहीत साहित्य – सामग्री, भारतीय दर्शन, जीवन शैली, राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता की अवधारणा को न केवल संरक्षित किए हुए है बल्कि भारतीय समाज-संस्कृति की अस्मिता को भी अभिव्यक्त करती है.मगध विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग से पधारी डॉ० एकता वर्मा ने कहा कि संस्कृत के प्राचीन साहित्य में ज्ञान विज्ञान का भंडार है।
उन्होंने संस्कृत विद्वानों और वैज्ञानिकों के बीच समन्वय पर बल दिया ताकि संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान का वैज्ञानिक उपयोग किया जा सके. वहीं दुसरी ओर डॉ० ममता मेहरा ने कहा कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इसका अनुशीलन कर कई तरह के अन्वेषण कर डाले लेकिन दुर्भाग्य यह है कि भारत में संस्कृत में निहित ज्ञान विज्ञान का उतना उपयोग नहीं किया जितना होना चाहिए था.संस्कृत भारती के मथुरा और वृंदावन में पूर्ण कालिक विस्तारक रहे शिवम तिवारी ने कहा कि संस्कृत के ज्ञान-विज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ना जरूरी है। आगे उन्होंने कहा कि संस्कृत पूर्ण विकसित भाषा होने के बाद भी इसके विकास का प्रवाह जारी है.संस्कृत संगोष्ठी के समापन उपरांत प्रदेश संगठन मंत्री संस्कृत भारती श्रवण कुमार ने डॉ० रामानुज महाराज को जिला संयोजक, शिवम तिवारी को सह जिला संयोयक, डॉ० एकता वर्मा को नगर संयोयिका, डॉ० ममता जी को सह नगर संयोयिका का दायित्व के साथ साथ स्वामी सत्यानंद जी एवं स्वामी नित्यानंद जी को हमारे संरक्षक के तौर पर घोषणा किया.संस्कृत संगोष्ठी में अमित रंजन त्रिपाठी, गया कॉलेज के पाली विभाग के प्राध्यापक राजेश कुमार मिश्रा जी के साथ साथ अन्य लोगों ने अपना- अपना मत दिया.