महाशिवरात्रि पर 351 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग,शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि-विधान
संतोष कुमार,
रजौली- महाशिवरात्रि पर्व 8 मार्च को हम सभी सनातनी धूम धाम से महाशिवरात्रि मनाया जाएगा।इस बार महाशिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रह है,ऐसी अद्भूत ग्रहों की जुगलबंदी करीब 351 साल बाद ऐसा दुर्लभ योग बनने से इस बार भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने वाली है। महाशिवरात्रि 2024 पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत इस बार 8 मार्च को संध्याकाल 9 बजकर 54 मिनट पर होगी।इसका समापन अगले दिन 9 मार्च को संध्याकाल 6 बजकर 19 मिनट पर होगा।शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है ऐसा शिवपुराण में वर्णित है,इसलिए उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है।ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च 2024 को सभी सनातनी धूम धाम से मनाए जाएंगे।
महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त :-
8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम के समय गोधुलि वेला 6 बजकर 25 मिनट से 9 बजकर 28 मिनट तक है।इसके अलावा चार प्रहर की पूजा अभिषेक कर सकतें हैं।सनातन हिंदू धर्म में
महाशिवरात्रि प्रमुख पर्व माना जाता है।फाल्गुन के महीने में त्रयोदशी व चतुर्दशी युक्त आती है तब महाशिवरात्रि महापर्व मनाया जाता है।इस दिन महादेव भक्त प्रार्थना,पूजा,उपवास,रूद्राभिषेक आदि कर महादेव की अनंत कृपा प्राप्त करते हैं।इस दिन पूरी रात जगने का भी विधान हैं,इस दिन शिव भक्त अपने आस पड़ोस के मंदिरों में जाते हैं एवंजलाभिषेक करके शिव को प्रसन्न करते हैं।कई भक्त इस दिन ज्योतिर्लिंगम का दर्शन करने भी जाते हैं।इस दिन का ज्योतिर्लिंग का दर्शन से विषेश पुण्य मीलता है।महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में नमक चमक रूद्राष्टाध्याय पाठ द्वारा शिव अभिषेक करने से भगवान भूत भावन महादेव अति प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं।आप लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ना का रस से अभिषेक करें,रोग व्याधि बाधाएं दूर करने के लिए तील तेल का अभिषेक करें कुशा के जल से अभिषेक करने से महामारी विभिषिका का नाश होता है ऐसा शिव पुराण में उल्लेख है।
किस प्रकार करें महाशिवरात्रि का उपवास :-
महा शिवरात्रि से एक दिन पहले शुद्ध सात्विक आहार व एक बार भोजन बार भोजन करने का विधान बताया गया है।महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात:काल उठकर स्नान आदि क्रिया करके संध्योपासन व सूर्य अर्घ प्रदान करके व्रत प्रारम्भ करें फिर संकल्प लेना चाहिए यानि आत्मनिर्णय का संकल्प लेना चाहिए और उन्हें सफलतापूर्वक समाप्त करने के लिए शुरू करने से पहले भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेना चाहिए।इसके बाद जो घर में हीं रूद्राभिषेक शिव पूजन करते हैं वो सायं कालिन पूजा के लिए पूजा स्थल पर शिवलिंग स्थापित करें। स्फटिक या पारद या फिर आप इसके लिए चीकनी मिट्टी का उपयोग करके एक अस्थायी शिव लिंगम भी बना सकते हैं।शिव महापुराण में चार प्रहर की पूजा विशेष फलदायी बताई गई है।शिवलिंग को आकार देने के बाद दूध,गुलाब जल,चंदन का लेप, दही,शहद,घी,चीनी और जल चढ़ाकर अनुष्ठान करें।शिवलिंग पर बिल्वपत्र की माला चढ़ाएं और फिर चंदन या कुमकुम लगाएं और भगवान शिव को धूप-दीपा दिखाएं आप मंदार पुष्प भी चढ़ा सकते हैं।पूजा के बाद शिव का यथा शक्ति ध्यान’ करें और अपनी मनोकामना नन्दी के दाहिने कान में कहें महादेव आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।
डीह रजौली निवासी महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी श्री वेदमूर्तिनंद सरस्वती जी महाराज ने बताया की महाशिवरात्रि के दिन हीं भगवान शिव अर्द्धरात्रि में ब्रह्माजी के अंश से लिंग रूप में प्रकट हुए थे।कई जगहों पर मान्यता है कि इसी दिन भोलेनाथ का गौरा माता से विवाह हुआ था।इस दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का पूजा-अर्चन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।शिवरात्रि पर घर में पारद, स्फटिक या मीट्टी के शिवलिंग की स्थापना विद्वान ब्राह्मण से सलाह लें कर स्थापना कर रूद्राभिषेक पूजन कर सकते हैं।इससे जीवन में आमदनी बढ़ने के योग बनते हैं सदा सर्वदा सुख शांति घर में बनी रहती है।शिवरात्रि पर गरीबों को भोजन कराएं या बेल पेड़ के नीचे ब्राह्मण को भोजन कराएं।इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी और पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी व दस हजार ब्राह्मण भोजन कराने का फल मिलेगा।पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करें।इससे मन को अपार शांति मिलेगी।शिवरात्रि के दिन मिट्टी से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें।साथ ही ॐ हौं जूं सः।ॐ भूर्भुवः स्वः।ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात्। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ।सः जूं हौं ॐ।मंत्र का जप करते रहें।इससे बीमारी ठीक होने में शीघ्र हीं लाभ मिलता है।
शिवरात्रि पर 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
शिवरात्रि पर नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं।इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा।
शिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं।तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है।
अगर विवाह में अड़चन आ रही है तो शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिलाकर दूध चढ़ाएं।जल्दी ही विवाह हो सकता है।
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें।इससे धन की प्राप्ति होती है।
शिव पूजन करने का प्रथम प्रहर शुभ मुहूर्त 8 मार्च,शाम 6:21 बजे से रात 9:27 बजे तक
दुसरा प्रहर – 8 मार्च रात 9:27 बजे से दोपहर 10:33 बजे तक
तीसरा प्रहर – रात्रि 10-41 से 1:27 तक
चतुर्थ प्रहर पूजा – रात्रि 2:39 बजे से सुबह 4:45 बजे
व्रत पारण का समय – सुबह 5:47 से 6:45 तक