शिवबचन बाबू का चिंतन और चरित्र मानवतावादी था- डॉक्टर मिश्र.

विश्वनाथ आनंद
गया (बिहार)-बहुमुखी प्रतिभा के धनी राष्ट्रीय विचार के प्रति दृढ़ता व प्रचंड पुरुषार्थ किसी व्यक्ति के अंदर निहित गुन को सहज ही परख लेना और उसका समाज कार्य की ओर उन्मुख कर देने के साथ स्वाभाविक गुण सबको मंत्र मुक्त कर देता था.वरिष्ठ अधिवक्ता नागरिक सुरक्षा सेवा के चीफ वार्डन जाने-मन समाजसेवी को जब स्मरण करता हूं ,तब मेरे स्मृति पटल पर उनके सानिध्य में ऐसी अनेक घटनाएं उमड़ने लगती है.यह कथन है विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय महासचिव डॉ विवेकानंद मिश्र का.महासभा मंच एवं संरक्षण प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों ने उनके दिवंगत आत्मा की चिर शांति प्रदान करने के लिए प्रभु से प्रार्थना की है. उनमें प्रमुख रूप से जाने माने सम्मानित साहित्यकार राधा मोहन मिश्रा माधव, शिवचरण डालमिया, डॉक्टर बी एन पांडे, शांति समिति मुफस्सिल थाने के अध्यक्ष कपिल देव बाबू, कृष्णा लाल टईया, प्रसिद्ध समाज सेवी प्रेम नाथ टईया, मंटू मिश्रा, रंजीत पाठक, पवन मिश्रा, डॉ ज्ञानेश भारद्वाज, अद्यतन युवा के संपादक रवि भूषण पाठक डॉ, प्रमोद मिश्रा, नागेंद्र वैध, प्रियंका मिश्रा, मृदुल मिश्रा, नीलम पासवान, प्रोफेसर रीना सिंह, तरन्नुम तारा, अफसाना खातून, मोहम्मद सद्दाम, इरशाद किरण पाठक, कविता राऊत ,ऋषिकेश गुर्दा मोहम्मद आरिफ, चांदनी प्रोफेसर संगीता सिंह दीपक पाठक, रजनी सिंह, नीरज, वर्मा शंभू गिरी, शंभू गुर्दा, प्रतिमा पाठक, रीता पाठक, फूल कुमारी, यादव आदि प्रमुख थे.

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