स्वार्थपरक और अवसरवादी राजनीति से समाज राष्ट्र का भला नहीं—अपराजिता वअपर्णा मिश्रा

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार)- लोकतंत्र में सभी को समानता से जीने का अधिकार है । हमारे संविधान के महान निर्माताओं ने संविधान और लोकतंत्र की विशेषता तथा इसका आधार बताया था, जिसमें जाति, पंथ, एवं धर्म -संप्रदाय के आधार पर किसी के साथ भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। यह कथन है कौटिल्य मंच के झारखंड प्रदेश के सचिव अपराजिता मिश्रा एवं अपर्णा मिश्रा का। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद से ही कुछ राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थपूर्ति के लिए, परिवारवादी राजनीति को जिंदा रखने के लिए समाज को जाति -पाति, वर्ग -संप्रदाय में बांटने का धृणित कार्य किया ।

यह किसी समाज के लिए, देश की एकता, अखंडता, भाईचारे के लिए उचित नहीं कहा जा सकता। दुर्भाग्य है कि आज जनता को राजनीति सेवा सहायता, दबे-कुचले को न्याय दिलाने के लिए नहीं हर मुसीबतयदा की आंख के आंसू पोछने के लिए नहीं बल्कि राजनीतिकों के लिए व्यापार के रूप में राजनीतिक दलों की जीवनशैली का अभिन्न बन गया है। आज जनतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले सदन में हमारे प्रतिनिधियों द्वारा जिस तरह के उदंड आचरण का परिचय दिया जा रहा है, हो हल्ला हंगामें से अपनी एवं सदन की गरिमा मिट्टी में मिला रहे हैं, देश के सुदुर गांव से लेकर संपूर्ण विश्व की आने वाली पीढियां को दिखाकर गलत संदेश देना चाह रहे हैं। संविधान की शपथ लेकर आखिर किस तरह के जनतंत्र को दिखाना चाहते हैं हमारे माननीय?

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