वनों का लगातार कटाई से गांवो में घुस रहे जंगली जानवर,तस्करों की कट रही चांदी

संतोष कुमार ।

प्रखंड क्षेत्र के संरक्षित वनों को सुरक्षित बचा पाने में वन विभागीय के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी नाकामयाब साबित हो रहे हैं।विभाग आदेशों को धता बताते लकड़ी तस्कर धड़ल्ले के साथ जंगलों में हरे भरे पेड़ो की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं।वैसे तो पूरे प्रखंड में दर्जनों गांव जंगलों मेें ही बसे हुए हैं,यही नहीं इन क्षेत्रों में ज्यादातर जंगली जानवरों का बसेरा भी हैं,बावजूद इसके विभाग अवैध कटाई पर कार्यवाही करने में दिलचस्पी नही दिखाती है।जिसके कारण वन विभाग की मिलीभगत से लगातार हरियाली का दायरा घटता जा रहा है।साथ ही जंगलों में रहने वाले जंगली पशु हिरण,जंगली सुअर आदि गांवों की और रुख करते हैं। और शिकारियों के हाथों शिकार हो जाते हैं।प्रखंड के धमनी, एकचटवा,कुम्हरूआ, बुढ़िया साख,चितरकोली, बसकुरवा,हरदिया,जमुंदाहा, चोरडीहा आदि गांवों की आधे से ज्यादा लोग लकड़ी तस्करी में लगे हुए हैं।उक्त गांव से लगे घने जंगलों में तस्करों के मिलीभगत से पेड़ो की अंधाधुंध कटाई किया जा रहा है।पहले कभी घनघोर वन के रूप प्रसिद्ध इस वन में हरे भरे पेड़ो की जगह अब केवल कटे पेड़ों के ठूंठ ही बचे हुए हैं।यह ठूंठ इस बात की गवाही देते है,कि किस कदर वन विभाग अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहा हैं और तस्कर कैसे धड़ल्ले से लकड़ी की तस्करी करने में लगे हुए हैं।रजौली के वन माफियाओं के द्वारा दिन के उजाले में गांव के लोगों को पैसे का लोभ देकर दिनभर पेड़ों की कटाई कराया जाता है।साथ ही पूरी रात अपने अपने आरा मिलों पर मंगाकर लकड़ियों के मोटे मोटे सिलीपर को चिर फाड़कर पटरी बनाया जाता है।मोटे-मोटे पेड़ों जाली कागज बना कर उसे काटकर नवादा व आसपास के जिलों में ले जाकर बिक्री कर में देते हैं।वहीं यहां के माफियाओं के द्वारा किमती लकड़ी खैर की कटाई कर उसके लाल हीरा निकालकर कत्थे तैयार कर तस्करी करने में लगे हुए हैं।आरा मिल संचालको की माने तो वन विभाग के वनपाल व आरक्षियों को पैसे देकर काम को किया जा रहा है।
माफिया के द्वारा पर्यावरण का जो नुकसान किया जा रहा है,उसका पूरा परिणाम दिखने लगा है।गांव समेत मुख्यालय में गर्मी आते ही पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न होने लगती है।पानी का लेवल दिन प्रतिदिन नीचे घटता जा रहा है।पहले रजौली अनुमंडल क्षेत्र में 30 फीट से 50 फीट के अंदर बोरिंग कर पानी निकाल दिया जाता था।लेकिन इन दिनों पर्यावरण पर मंडराते खतरे के कारण 125 फीट से 200 फीट तक बोरिंग करवाना पड़ रहा है।पेड़ पौधे के नुकसान पहुंचाने का असर गांव और शहर में आना शुरू हो गया है।जंगलों में अवैध रूप से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।लोगों को जंगल और पेड़ का महत्व को समझाते हुए इसे बचाने का प्रयास अगर नहीं किया गया तो आने वाले समय में पानी का घोर समस्या उत्पन्न हो जाएगी।सच्चाई है कि जंगलों में आग लगने से पेड़-पौधे तो नष्ट होते ही हैं इसके साथ-साथ वन्य जीवों पर भी असर पड़ता है।लेकिन वन विभाग आज भी कोई ठोस योजना इसपर नहीं बना पा रही है।इधर,जल जीवन हरियाली कार्यक्रम का असर कुछ भी धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा है।कई पंचायतों में जल जीवन हरियाली मनरेगा के द्वारा बरसातों में पेड़ तो लगा दिया जाता है।लेकिन उसका देखरेख नहीं करने के कारण पेड़ खत्म हो जाते हैं।ऐसे भी जल जीवन हरियाली के तहत पौधे पर देखरेख नहीं किया गया तो जल स्तर तेजी से गिरावट आ सकती है।जंगली क्षेत्रों में ऐसे जगहों पर काम कराया जाता है।जहां बंदरबांट कर राशि को गवन कर दिया जाता है।60% कमीशन व 40% किसान मजदूर के नाम पर ठेकेदार के द्वारा गड्ढे नालों को घेरकर तालाब बना हुआ दिखाया जाता है।ऐसे में हरदिया पंचायत, सवैयाटांड़ पंचायत में सैकड़ों ऐसा जगह है।जहां बीते 5 वर्ष में नये तालाब बनाया नहीं गया है।लेकिन नये तालाब के नाम पर पुराने तालाब में काम करवा कर राशि को हजम किया जा रहा है।इस बाबत पर रेंजर मनोज कुमार ने बताया कि वनकर्मियों के सहयोग से पहले भी अवैध वन कटाई पर रोक लगाई जा रही थी।किन्तु अभी पर्याप्त संख्या में बल नहीं है।आनेवाले तीन से चार दिनों में बलों की संख्या उपलब्ध होने के बाद पेड़ों की कटाई में जुटे माफियाओं के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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