ताड़ से गिर कर खजूर पर लटकने वाली कहावत चरितार्थ हो रहा है गया नगर निगम में
मनोज कुमार ।
बिहार में पहली बार मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे जनता के द्वारा होने के उपरांत आमजन को विश्वाश हुआ था की अब पार्षदों का खरीद, फरोख्त , गुटबाजी, राजनीति का खेल खत्म होकर विकास की गति पहले से तीव्र होगी, परंतु गया नगर निगम में मेयर, डिप्टी मेयर एवम् नगर आयुक्त के बीच आरोप, प्रत्यारोप के बीच गया शहर के सभी 53 वार्डो के नियमित कार्य एवम् विकास कार्य बाधित होने से आमजन में यह चर्चा का विषय है की हम गयावासी तार से गिर खजूर पर लटकने वाली कहावत के तहत पहले से भी खराब स्थिति में आ गए है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह गया महानगर विकास संघर्ष समिति के संयोजक प्रो विजय कुमार मिठू, सहसंयोजक पूर्व विधायक मो खान अली, प्रो विश्वनाथ कुमार, डा अनिल कुमार सिन्हा, मो समद, असरफ इमाम, सुरेंद्र मांझी, विनोद पासवान, नरेश चौधरी, राजेश अग्रवाल,आदि ने कहा की विगत कई दिनों से मेयर द्वारा बिना नगर आयुक्त के कॉन्सेंट के स्टैंडिंग कमेटी की बैठक बुलाने, नगर आयुक्त के कार्यकाल में किए गए कार्यों में अनियमितता एवम् घोटाले का आरोप लगा कर जांच करने, तो दूसरी ओर नगर आयुक्त द्वारा मेयर के निर्णय को गलत बताते हुए विगत कई वर्षों के कार्य का ऑडिट कराने सहित पूर्व में किए गए विकास कार्यों की जांच के पत्र निर्गत किया गया, जिसकी सूचना राज्य सरकार, मेयर, डिप्टी मेयर, पार्षद गण, जिलाधिकारी, आयुक्त मगध प्रमंडल, वरीय आरक्षी अधीक्षक, को प्रतिलिपि भेजी गई। बाद में नगर विकास विभाग द्वारा मेयर द्वारा बुलाई गई बैठक को अनुचित ठहराते हुए, नगर आयुक्त द्वारा निर्गत पत्र को सही ठहराया गया।
नेताओ ने कहा अब स्थिति तो यहां तक पहुंच गई की मेयर , डिप्टी मेयर द्वारा पार्षदों का गुट बना कर बैठक आयोजित कर नगर आयुक्त को हटाने तक को मांग की गई है।
नेताओ ने कहा की पूर्व में भी कई बार गया नगर निगम में ऐसा हुआ है की नगर आयुक्त एवम् मेयर, डिप्टी मेयर, पार्षदों की आपसी खींचतान में नगर का विकास अवरूद्ध हुआ है।
नेताओ ने मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री से अविलंब गया नगर निगम के कार्य को सुचारू रूप से चलने, साफ, सफाई सहित सभी नियमित कार्य निरंतर ठीक ढंग से होने, विकास कार्य तीव्र गति से होने, तथा मेयर, डिप्टी मेयर एवम् नगर आयुक्त द्वारा परस्पर एक दूसरे द्वारा किए गए विकास कार्यों में अनियमितता, लूट खसोट, घोटाले की जांच, वर्षो से लंबित ऑडिट आदि की अविलंब निष्पक्ष जांच कराने की मांग किया है।